मीटिंग में डवलपर्स ने राजस्थान में कई तरह की परेशानियां बताईं और जल्द से जल्द दूर करने के लिए कहा, ताकि टारगेट के तहत काम किया जा सके। कपूर ने ऊर्जा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आलोक को डवलपर्स के उठाए गए बिन्दुओं पर समाधान की टाइमलाइन तय करने के लिए कहा। उन्होंने आलोक की तरफ देखते हुए चुटकी भी ली, कहा- आप बैठै हो शायद इसलिए डवलपर्स ज्यादा बोल नहीं पा रहे।
बैठक में पावर ग्रीन कॉर्पोरशन ऑफ इंडिया ने इंटरस्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम पर प्रजेंटेशन दिया। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, राजस्थान अक्षय ऊर्जा, प्रसारण निगम के अधिकारी भी साथ रहे। डलवपर्स में अदाणी, ग्रीनको एनर्जी, टाटा पावर, रिन्यू, आवाडा एनर्जी सहित डेढ़ दर्जन से ज्यादा कंपनियों के प्रतिनिधियों ने चर्चा की।
डवलपर्स ने बताई परेशानी -अक्षय ऊर्जा के प्लांट तो लगा रहे हैं, लेकिन मौजूदा स्थिति ऐसी है कि वर्ष 2027 तक भी ट्रांसमिशन सिस्टम की प्रभावी कनेक्टिविटी के इंतजाम नजर नहीं आ रहे। जो बिजली तंत्र है, वह ओवरलोड चल रहा है।
-ट्रांसमिशन चार्ज में अभी छूट 2025 तक है, इसे आगे बढ़ाने की जरूरत है, क्योंकि प्रदेश में प्रोजेक्ट में देरी हो रही है। -अक्षय ऊर्जा से जुड़े प्रोजेक्ट के टावर लगाने में पुलिस सहायता तत्काल मिले, क्योंकि मौके पर कई असामाजिक तत्व सक्रिय रहते हैं। स्थानीय लोगों को भी गुमराह कर रहे हैं।
-स्थानीय लोग राजनीतिक दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उपकरणों की चोरी भी हो रही है। -बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए बड़ी जमीन चाहिए, लेकिन बीच-बीच में एससी-एसटी की जमीन भी आती है। ऐसी भूमि के कन्वर्जन की प्रक्रिया तेज हो।
-कई रूट ऐसे हैं जहां केबल ले जाने के दौरान विरोध होता है। सामान्य से मामले को पॉलिटिकल इश्यू बना देते हैं। इससे काम प्रभावित हो रहा है। पीजीसीआईएल ने अतिरिक्त मुख्य सचिव ऊर्जा की तरफ इशारा कर इसे सुलझाने की जरूरत जताई।
-पवन ऊर्जा की मशीनों की कमिशनिंग में समय लग रहा है, इसलिए मौजूदा प्रावधानों में सरलीकरण हो।