पहली पारी की परीक्षा सुबह 10 बजे शुरू की गई। परीक्षा शुरू होने से पांच मिनट पहले 9 बजकर 50 मिनट पर
चयन बोर्ड के सेंट्रल सर्वर से परीक्षा केन्द्र पर बनाए गए सर्वर पर पेपर भेजा गया। इसके बाद परीक्षा शुरू होने से दो मिनट पहले परीक्षा केन्द्र के सर्वर से सभी टैबलेट पर पेपर अपलोड किया गया। अभ्यर्थियों ने अपनी लॉग-इन आइडी डालकर पेपर खोला और परीक्षा दी।
खास बात है कि इस तकनीकी सिस्टम को हैक करने के लिए आइआइटी मद्रास, कानपुरा और बिट्स पिलानी के एक्टपर्ट की टीम को लगाया गया। ये हैकर्स सेंट्रल सर्वर से लेकर टैबलेट तक सिस्टम को हैक करने का प्रयास करते रहे, लेकिन सफलता नहीं मिली। दूसरी पारी दोपहर दो से शाम पांच बजे तक पुन: यह प्रक्रिया अपनाई गई। ऐसे में चयन बोर्ड की ओर से टैबलेट पर टेस्ट का प्रथम चरण का परीक्षण सफल रहा। इस पूरी प्रक्रिया को ऑपरेशन गोडावण नाम दिया गया है।
दूसरे चरण में लेंगे तकनीकी रिपोर्ट
बोर्ड के अध्यक्ष आलोक राज ने बताया प्रथम चरण का परीक्षण सफल होने के बाद अब इस पूरी प्रक्रिया का अंतिम परीक्षण कराया जाएगा। यह परीक्षण आइआइटी मद्रास और कानपुरा में अलग-अलग कराई जाएगी। यह भी देखा जाएगा कि टेक्नोलॉजी अपग्रेड होने के बाद भी सिस्टम में सेंधमारी तो नहीं हो सकेगी। इसको लेकर एक्सपर्ट की टीम सुझाव देगी। इसकी रिपोर्ट बोर्ड की बैठक में पेश की जाएगी। इसके बाद टैबलेट से टेस्ट कराने पर निर्णय लिया जाएगा। गौरतलब है कि भर्ती परीक्षाओं में नकल और धांधली रोकने के लिए बोर्ड की ओर से यह टैबलेट बेस्ड टेस्ट कराने की कवायद की जा रही है। बोर्ड अध्यक्ष के अनुसार यह टेस्ट सिर्फ सरकारी स्कूलों में ही कराए जाएंगे।
बिना कोड नहीं खुल सकेगा पेपर
बोर्ड के सेंट्रल सर्वर से लेकर टैबलेट पर पेपर अपलोड करने तक की प्रक्रिया के बीच कोड सेट किए गए हैं। दरअसल, सेट्रल सर्वर से पेपर जब परीक्षा केन्द्र के सर्वर पर आएगा तो बिना कोड पेपर नहीं खुलेगा। इसी प्रकार जिन टैबलेट के जरिए परीक्षा कराई जा रही है उनके आइपी एड्रेस परीक्षा केन्द्र के सर्वर में सेट किए गए। ऐसे में सर्वर से उन्हीं टैबलेट पर पेपर जाएगा, इसके अलावा दूसरे सिस्टम में पेपर नहीं जा सकेगा।