-सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर डिस्कॉम्स ने कुछ माह पहले ही अडानी पावर को 5996.44 करोड़ रुपए चुकाए। इसमें 3048.64 करोड़ रुपए मूल राशि और 2947.81 करोड़ रुपए ब्याज (कैरिंग चार्ज) शामिल है।
-इसे चुकाने के लिए डिस्कॉम्स ने लोन लिया। अब उस लोन की ब्याज राशि 1442.18 करोड़ रुपए का भार भी उपभोक्ताओं पर डाला जा रहा है।
-इससे पहले 2884.77 करोड़ रुपए अडानी पावर को चुकाए गए। इसमें 2426.81 करोड़ रुपए मूल राशि और 420.96 करोड़ रुपए कैरिंग चार्ज है।
-इस तरह अडानी पावर को 10286.40 करोड़ रुपए चुकाए। इसमें ब्याज का बोझ ही 4810.95 करोड़ रुपए है।
-करोड़ों रुपए जनता से वसूले जा रहे हैं, लेकिन सरकार मौन है। ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी हैं, लेकिन उन्होंने जनहित में और जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ एक्शन पर निर्णय नहीं किया।
-क्या सरकार राशि स्वयं वहन नहीं कर सकती या फिर उपभोक्ताओं पर बोझ डालना जरूरी है।
डिस्कॉम्स और अडानी पॉवर राजस्थान लि. के बीच बिजली खरीद का अनुबंध है। कंपनी ने राजस्थान के कवई में 1320 मेगावॉट क्षमता का बिजली उत्पादन प्लांट लगाया हुआ है। यहां से डिस्कॉम्स को बिजली सप्लाई की जा रही है। कंपनी ने बिजली उत्पादन के लिए इंडोनेशिया से कोयला मंगवाया। इसके लिए कंपनी ने अतिरिक्त भुगतान किया और राशि डिस्कॉम्स से मांगी। डिस्कॉम्स ने तर्क दिया कि अनुबंध के तहत अतिरिक्त राशि का भुगतान का प्रावधान नहीं है। इसके खिलाफ कंपनी हाईकोर्ट होते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंची। कोर्ट ने भुगतान का आदेश दिया।