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अगरबत्ती निर्माण में आत्मनिर्भर बनेगा भारत
खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) द्वारा प्रस्तावित खादी अगरबत्ती आत्मनिर्भर मिशन का लक्ष्य रोजगार सृजन के साथ ही भारत को अगरबत्ती उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना है। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, एक पायलट परियोजना जल्द लॉन्च की जाएगी। परियोजना के पूर्ण क्रियान्वयन के बाद इस सेक्टर में हजारों रोजगार पैदा होंगे। सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत छोटे निवेश वाली यह योजना सतत रोजगार पैदा करने में और निजी अगरबत्ती निर्माताओं को बगैर किसी पूंजी निवेश से उत्पादन बढ़ाने में मदद करेगी।
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कुछ ऐसी है परियोजना की रूप रेखा
इस स्कीम के तहत केवीआईसी कारीगरों को आटोमेटिक अगरबत्ती उत्पादन एवं पॉउडर मिक्सिंग मशीनें निजी अगरबत्ती विनिर्माताओं से दिलवाएगा, जो एक बिजनेस पार्टनर के रूप में समझौते पर हस्तारक्षर करेंगे। केवीआईसी केवल स्थानीय स्तर पर निर्मित मशीनें ही खरीदेगा। केवीआईसी 25 प्रतिशत सब्सिडी देगा और मशीन की लागत की बाकी की राशि हर महीने आसान किश्तों में कारीगरों से वसूलेगा। बिजनेस पार्टनर कारीगरों को कच्चा माल मुहैया कराएंगे और उन्हें एक जॉब वर्क आधार पर वेतन का भुगतान करेंगे। कारीगरों के प्रशिक्षण का खर्च केवीआईसी और निजी बिजनेस पार्टनर द्वारा 75:25 की साझेदारी में उठाया जाएगा। केवीआईसी और निजी अगरबत्ती विनिर्माताओं के बीच एक दो-पक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किया जाएगा।
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देश की अगरबत्ती इकोनॉमी
मौजूदा समय में देश में अगरबत्ती की खपत करीब 1,490 टन प्रतिदिन है, जबकि देश में उत्पादन केवल 760 टन प्रतिदिन है। मांग को पूरा करने के लिए मुख्य रूप से चीन और वियतनाम से आयात किया जाता है। सरकार ने पिछले साल अगस्त में अगरबत्ती और इसी प्रकार के उत्पादों के आयात पर पाबंदी लगा दी थी। चीन और वियतनाम जैसे देशों से आयात बढऩे की रिपोर्ट पर यह कदम उठाया गया था। पिछले वित्त वर्ष 2019-20 में अप्रैल-जून के दौरान अगरबत्ती और सुगंधित पदार्थों का आयात 1.775 करोड़ डॉलर का रहा। वहीं 2018-19 में यह 8.358 करोड़ डॉलर का था।