बराबर मिला कोयला- बिजली घर सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अक्टूबर माह में सतपुड़ा को 78 रैक कोयला मिला है। इसमें डब्ल्यूसीएल और एसईसीएल की लगभग बराबर रैक सारनी पहुंची है। परिवहन भाड़ा व वास्ड कोल आपूर्ति होने से एसईसीएल का कोयला महंगा साबित हो रहा है। इससे पहले सतपुड़ा को एसईसीएल के बजाय डब्ल्यूसीएल से कोयले की रैक ज्यादा प्राप्त होती थी। बताया जा रहा है कि श्रीसिंगाजी प्लांट का संचालन करने डब्ल्यूसीएल का कोयला सस्ता पड़ता है। जबकि एसईसीएल का कोयला महंगा प्राप्त होता है। इस वजह से सिंगाजी प्लांट को डब्ल्यूसीएल का कोयला आपूर्ति किया जा रहा है।
इस तरह बढ़ेगी उत्पादन लागत – सितंबर माह की एमओडी में सतपुड़ा की 250-250 मेगावाट की 10-11 नंबर यूनिट की उत्पादन लागत 2.14 पैसे प्रति यूनिट थी जो नवंबर माह में जारी होने वाली अक्टूबर माह की एमओडी में बढ़कर 2.21 पैसे या इससे भी अधिक हो सकती है। इसी 200 व 210-210 मेगावाट की 6, 7, 8 और 9 नंबर यूनिट की उत्पादन लागत सितंबर माह की एमओडी में 2.58 पैसे थी जो बढ़कर 2.68 पैसे तक पहुंचने का पूरा अनुमान है।
12 हजार मेगावाट के पार पहुंची डिमांड- शुक्रवार को प्रदेश में बिजली की मांग 12 हजार मेगावाट से अधिक दर्ज की गई। सतपुड़ा बिजली घर से देर शाम तक 950 मेगावाट के आसपास उत्पादन हुआ। यहां की तीन छोटी इकाइयों को 150-150 मेगावाट के लोड पर चलाया जा रहा है। वहीं दो बड़ी इकाइयों को 250-250 मेगावाट के लोड पर चलाया जा रहा है। छोटी इकाइयों को कोयले की कमी के चलते टेक्निकल मिनिमम पर चलाया जा रहा है। वहीं 9 नंबर यूनिट कोयले की कमी के चलते बंद है।