फ्रोजन फूड डायबिटीज रोगियों के लिए नुकसानदेह है। फ्रीजिंग के समय खाद्य पदार्थों को ताजा रखने के लिए स्टार्च का उपयोग किया जाता है। स्टार्च भोजन में स्वाद और खाद्य पदार्थों को फ्रेश बनाए रखने में मदद करते हैं। पाचन के दौरान स्टार्च, शुगर में परिवर्तित हो जाता है। ऐसे में फ्रोजन फूड्स ब्लड शुगर लेवल को बढ़ाकर मधुमेह रोगियों की समस्या को बढ़ा सकते हैं।
पैक्ड या फ्रोजन फूड में ट्रांस फैट होता है जो हृदय रोगों के जोखिम को बढ़ाते हैं। इस प्रकार के फैट धमनियों में जमा होने लगते हैं जिससे रक्त का संचार प्रभावित हो सकता है। अध्ययनों से पता चलता है कि फ्रोजन खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन करना बैड कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) को भी बढ़ा देता है, जिसे हृदय रोगों का कारक माना जाता है। कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखने का प्रयास किया जाना चाहिए।
प्रोसेस्ड और फ्रोजन फूड आइटम्स के अधिक सेवन वजन बढ़ाता है। फ्रोजन आइटम्स में वसा की मात्रा अधिक होती है। यही वजह है कि ये कैलोरी में अधिक होते हैं और मोटापा बढ़ा देते हैं। इसके अलावा भोजन को लंबे समय तक फ्रीज करने से वस्तुओं में मौजूद कुछ महत्वपूर्ण विटामिन्स और खनिज भी नष्ट हो सकते हैं। इसलिए इन्हें पौष्टिक नहीं माना जाता है।
फ्रोजन फूड आइटम्स अग्नाशयी कैंसर का जोखिम बढ़ा देते हैं। आमतौर पर फ्रोजन खाद्य पदार्थों में उपयोग किए जाने वाले प्रीजर्वेटिव्स के कारण कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है। हालांकि इस तथ्य की पुष्टि के लिए और विस्तृत अध्ययन की आवश्यकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन बहुत कम करें, और इन्हें उपयोग में लाने से पहले अच्छी तरह से पानी से धोएं जरूर।