चिकित्सकों के अनुसार अस्थमा, सीओपीडी और गठिया Asthma, COPD and Arthritis आदि के मरीजों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। महामारी के दौरान बरती गई सावधानियां पर पुनर्विचार करने की जरूरत है। मास्क, सामाजिक दूरी और हैंड सैनिटाइजेशन इस वायरल संक्रमण को नियंत्रित किया जा सकता है।
फरवरी के बाद ही राहत की उम्मीद पल्मोनरी मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. शीतल चौरसिया ने बताया कि फ्लू के साथ-साथ अन्य वायरल श्वसन संक्रमण के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। ओपीडी में हर दिन औसतन 50 मरीज परामर्श के लिए पहुंचते हैं। करीब 10 मरीजों को भर्ती करने की जरूरत पड़ती है। ठंडे मौसम के कारण वायरल संचरण को बढ़ावा मिलता है। फरवरी तक इस स्थिति के बने रहने का अनुमान है।
अक्सर अधिक आक्रामक उपचार की जरूरत द्वितीयक जीवाणु संक्रमण के खतरे की ओर इशारा करते हुए डॉ. चौरसिया ने कहा, पोस्ट-वायरल जीवाणु संक्रमण तब विकसित हो सकता है, जब प्रारंभिक बीमारी के बाद मरीजों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है। अक्सर अधिक आक्रामक उपचार और लंबे समय तक अस्पताल में रहने की आवश्यकता होती है।
कम आम वायरल संक्रमण भी परेशानी का सबब छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. गायत्री जे. के अनुसार ठंडी हवा ब्रोन्कोकॉन्स्ट्रिक्टर के रूप में भी काम करती है, जो अस्थमा या एलर्जी वाले मरीजों के लक्षणों को और खराब कर देती है। फ्लू और आरएसवी RSV (रेस्पिरेटरी सिंसिटियल वायरस) जैसे सामान्य वायरस के अलावा, कम आम वायरल संक्रमण भी बढ़ रहे हैं। इनकी नियमित जांच उपलब्ध नहीं है।
आरएसवी के मामले कम, लेकिन ज्यादा गंभीर पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. अजित कुमार ने बताया कि इन्फ्लूएंजा ए और बी influenza A and B के मामले बढ़े हैं। पिछले साल की तुलना में आरएसवी के मामले कम, लेकिन ज्यादा गंभीर हैं। तापमान में गिरावट के साथ मरीजों की संख्या बढ़ सकती है। बारिश हुई तो स्थिति और भी खराब होगी।
70 प्रतिशत मामले श्वसन संबंधी बीमारियों से जुड़े बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पी. थिरुमलेश ने बताया कि इस मौसम में बच्चे और विशेषकर नवजात बीमार पड़ते हैं। ठंडी, शुष्क हवा और घर के अंदर लोगों की बढ़ती भीड़ इन्फ्लूएंजा और आरएसवी जैसे श्वसन वायरस के फैलने के लिए आदर्श वातावरण बनाती है। पिछले साल की तुलना में श्वसन संक्रमण में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इनमें करीब 70 प्रतिशत मामले श्वसन संबंधी बीमारियों से जुड़े हैं।
इस बार ऐसा नहीं आम तौर पर दिसंबर में इन्फ्लूएंजा के मामले बढ़कर जनवरी में कम होते हैं। लेकिन, इस बार ऐसा नहीं है। पिछले कुछ महीनों की तुलना में हाल ही में फ्लू और वायरल संक्रमण वाले बच्चों में मामलों की संख्या में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। तापमान में गिरावट कई मुख्य कारणों में से एक है।