शहीद अशफाकउल्लाह खां प्राणि उद्यान के डायरेक्टर एच राजा मोहन ने मीडिया से बताया है कि ‘वन्य अंगीकरण योजना’ लागूकर दी गई है। योजना के तहत वन्य जीवों के भोजन एवं दवा संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए सीमित अवधि (तीन माह, छह माह व एक साल) के लिए गोद दिए जाने का प्रावधान है। वन्य जीव प्रेमी, औद्योगिक प्रतिष्ठान, स्वयं सेवी संस्थाएं, बैंकिंग संस्थाएं और शैक्षणिक संस्थाएं इसका लाभ ले सकती हैं।
योजना के तहत चिड़ियाघर के वन्य जीवों को तय शुल्क देकर निश्चित समय के लिये गोद लिया जा सकता है। इस दौरान उसपर आने वाला खर्च गोद लेने वाले को उठाना होगा। हर वन्य जीव के लिये उसके रख-रखाव के आधार पर अलग-अलग शुल्क तय है। बब्बर शेर और बाघ को गोद लेने के लिये सबसे अधिक शुल्क 8 लाख 40 हजार रुपये सालाना है। इसी तरह दरियाई घोड़े और गेंडा के लिये तीन महीने का शुल्क 77 हजार 500, छह महीने के लिये 1 लाख 55 हजार और एक साल के लिये 3 लाख 31 हजार रुपये है।
जानवरों को गोद लेने वाले आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80 जी के तहत कर आयकर में छूट का फायदा ले सकेंगे। इसके अलावा गोद लेने वाले व्यक्ति और संस्था को चिडिय़ाघर घूमने के लिये गोद लेने की अवधि के दौरान 12 लोगों के लिये निशुल्क प्रवेश की सुविधा भी दी जाएगी। वन्य जीवों को सबसे अधिक दिन के लिये गोद लेने वालों को प्राथमिकता दी जाएगी। जो भी व्यक्ति या संस्था वन्य जीवों को गोद लेगा उसका नाम डिस्प्ले बोर्ड पर प्रदर्शित किया जाएगा। गोद लेने के लिये पहले आओ पहले पाओ की नीति लागू की गई है।