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गोंडा

kanwar yatra 2024: यूपी के इस जिले में एशिया का सबसे बड़ा शिवलिंग, लंबाई-चौड़ाई बताती है पौराणिकता

kanwar yatra 2024: उत्तर प्रदेश के इस जिले में एशिया महाद्वीप का पांडव कालीन पौराणिक शिव मंदिर है। सावन महीना शुरू होते ही जलाभिषेक का सिलसिला शुरू हो जाता है। कजली तीज (हरतालिका तीज) और अधिमास (मलमास) के अवसर पर सरयू से जल भरकर नंगे पैर लाखों कांवरिये जलाभिषेक करते हैं।

गोंडाJul 13, 2024 / 09:59 am

Mahendra Tiwari

kanwar yatra 2024, Prithvinath Temple Largest mahadev Shivling in Asia

पृथ्वीनाथ मंदिर पर जलाभिषेक करते श्रद्धालु फाइल फोटो

kanwar yatra 2024: महाभारत कालीन एशिया भर में अपनी विराटता के लिए प्रसिद्ध शिवलिंग पृथ्वी नाथ मंदिर का अपना एक अलग महत्व है। वैसे तो यहां प्रतिदिन श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। लेकिन सावन के महीने में शुक्रवार और सोमवार को भोलेनाथ को जलाभिषेक करने के लिए श्रद्धालुओं की अपार भीड़ जुड़ती है। कजली तीज के अवसर पर कर्नलगंज सरयू से जल भरकर 8 से 10 लाख की संख्या में प्रतिवर्ष नंगे पैर शिव भक्त जलाभिषेक करते हैं।
kanwar yatra 2024: गोंडा शहर से 30 किलोमीटर दूर खरगूपुर कस्बे के निकट पृथ्वीनाथ मंदिर में भगवान शिव के साक्षात दर्शन होते हैं। सावन महीने तथा कजली तीज के अवसर पर प्रदेश भर के साथ-साथ पड़ोसी देश नेपाल से शिव भक्त यहां यहां पर जलाभिषेक करने के लिए आते हैं। मंदिर के महंत ने बताया कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान इस विराटतम शिवलिंग की स्थापना भीम ने किया था। यह शिवलिंग साढ़े 5 फुट ऊंचा है।

एशिया महाद्वीप का सबसे विराटतम शिवलिंग

पृथ्वीनाथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग एशिया महाद्वीप का सबसे विराटतम शिवलिंग है। पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार प्राचीनतम समय में यह क्षेत्र जंगल था। यहां पर पांडव अपनी मां कुंती के साथ रहते थे। इस क्षेत्र के लोग ब्रह्म राक्षस से पीड़ित थे। भीम ने उसका वध कर दिया था। अभिशाप से मुक्ति पाने के लिए उन्होंने भगवान श्री कृष्ण के मार्गदर्शन के बाद भगवान शिव की उपासना के लिए भीम ने इस विराटतम शिवलिंग की स्थापना किया था।

जमीन के अंदर 64 फीट और ऊपर साढ़े 5 फीट ऊंचा शिवलिंग

पुरातत्व विभाग की मानें तो एशिया महाद्वीप का सबसे बड़े शिवलिंग है। जिसकी जमीन के अंदर 64 फीट गहराई है। जबकि जमीन के ऊपर साढ़े 5 फीट 6 इंच ऊंचा है। महंत बताते हैं कि खरगूपुर के राजा गुमान सिंह के अनुमति से यहां के पृथ्वी सिंह ने मकान निर्माण के लिए खुदाई शुरू की, उसी रात स्वप्न में पता चला कि जमीन के नीचे सात खंडों में शिवलिंग है। स्वप्न के अनुसार उन्होंने इस मंदिर का निर्माण कराया। तभी से इस मंदिर का नाम पृथ्वीनाथ मंदिर पड़ा।
वास्तुकला का बेमिसाल नमूना

श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र होने के साथ ही पृथ्वीनाथ मंदिर वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। मंदिर के पुजारी जगदंबा प्रसाद तिवारी ने बताया कि वैसे यहां तो प्रतिदिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है। यद्यपि श्रावणमास व हर तीसरे साल पड़ने वाले अधिमास मे यहां लाखों श्रद्धालु जलाभिषेक करते हैं। महाशिवरात्रि पर्व और कजलीतीज के अवसर पर यहां की बेकाबू भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन को करीब 5 से 6 किलोमीटर तक बैरिकेडिंग करनी पड़ती है।

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