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मुंबई

युद्धपोत ‘सूरत’, ‘नीलगिरि’ और ‘वाघशीर’ नौसेना के बेड़े में शामिल, समुद्र में छूटेंगे दुश्मन देशों के पसीने

पीएम मोदी ने आज भारतीय नौसेना के तीन अग्रणी युद्धपोतों INS सूरत, INS नीलगिरि और INS वाघशीर को राष्ट्र को समर्पित किया।

मुंबईJan 15, 2025 / 12:34 pm

Dinesh Dubey

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (15 जनवरी) इंडियन आर्मी डे के मौके पर मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में नौसेना के तीन फ्रंटलाइन युद्धपोतों आईएनएस सूरत, आईएनएस नीलगिरि और आईएनएस वाघशीर को राष्ट्र को समर्पित किया। पीएम मोदी आज सुबह करीब 10.30 बजे मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड पहुंचे और तीन फ्रंटलाइन नौसैनिक युद्धपोतों को नौसेना को सौंपा। तीनों युद्धपोतों का डिजाइन और निर्माण पूरी तरह से भारत में हुआ है।

आईएनएस सूरत (INS Surat)

परियोजना 15बी (पी15बी) गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर परियोजना का चौथा और अंतिम युद्धपोत आईएनएस सूरत दुनिया के सबसे बड़े और सबसे परिष्कृत विध्वंसक युद्धपोतों में से एक है। इसमें 75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री है और यह अत्याधुनिक हथियार-सेंसर पैकेज और उन्नत नेटवर्क-केंद्रित क्षमताओं से लैस है।
यह स्टील्थ विध्वंसक श्रेणी का चौथा और अंतिम युद्धपोत आईएनएस सूरत कोलकाता श्रेणी के विध्वंसक पोतों की अगली पीढ़ी का सदस्य है। इसके डिजाइन और क्षमता में सुधार किए गए हैं और यह नौसेना के सतह पर रहने वाले बेड़े का महत्वपूर्ण सदस्य है।
INS Surat

आईएनएस नीलगिरि (INS Nilgiri)

पी17ए स्टील्थ फ्रिगेट परियोजना का पहला युद्धपोत आईएनएस नीलगिरि, भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिजाइन किया गया है और इसे बढ़ी हुई क्षमता, समुद्र में लंबे समय तक रहने तथा स्टील्थयुक्‍त उन्नत सुविधाओं के साथ नौसेना में शामिल किया गया है, यह स्वदेशी फ्रिगेट की अगली पीढ़ी को दर्शाता है। यह आधुनिक विमानन सुविधाओं से लैस है तथा एमएच-60 आर समेत विभिन्न प्रकार के हेलीकॉप्टर का परिचालन कर सकता है।

आईएनएस वाघशीर पनडुब्बी (INS Vaghsheer)

आईएनएस वाघशीर स्कॉर्पीन श्रेणी की परियोजना 75 (पी75) के तहत छठा और अंतिम युद्धपोत है। यह बहुभूमिका वाला डीजल-विद्युत संचालित पोत है। इसका निर्माण फ्रांस के नौसेना समूह के सहयोग से किया गया है।
INS Vaghsheer

इस दौरान पीएम मोदी ने कहा, “आज भारत की समुद्री विरासत नौसेना के गौरवशाली इतिहास और आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिए भी बहुत बड़ा दिन है। छत्रपति शिवाजी महाराज ने नौसेना को नया सामर्थ्य और विजन दिया था। आज उनकी इस पावन धरती पर 21वीं सदी की नौसेना को सशक्त करने की तरफ हम एक बड़ा कदम उठा रहे हैं। ये पहली बार हो रहा है, जब एक डिस्ट्रॉयर, एक फ्रिगेट और एक सबमरीन को एक साथ कमीशन किया जा रहा है। गर्व की बात कि ये तीनों मेड इन इंडिया हैं।“

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