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गाज़ियाबाद

विवेक तिवारी हत्याकांड के बाद अब इस परमवीर चक्र विजेता ने यूपी पुलिस पर लगाए गंभीर आरोप, सीएम योगी से की ये मांग

कारगिल युद्ध में अपनी जांबाजी का लोहा मनवाने वाले परमवीर चक्र विजेता सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव के यूपी पुलिस पर आरोप

गाज़ियाबादOct 05, 2018 / 10:33 am

lokesh verma

Yogendra Singh Yadav

विवेक तिवारी हत्याकांड के बाद अब इस परमवीर चक्र विजेता ने यूपी पुलिस पर लगाए गंभीर आरोप, सीएम योगी से की ये मांग

गाजियाबाद. देश की सुरक्षा के लिए अपनी जान की बाजी लगा 1999 के भारत-पाक कारगिल युद्ध में अपनी जांबाजी का लोहा मनवाने वाले परमवीर चक्र विजेता सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव पुलिस की लापरवाही भरे रवैये से पस्त हो गए हैं। दरअसल, परमवीर चक्र विजेता सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव की कार गाजियाबाद स्थित उनके घर के बाहर से चोरी हो गई। कार पुलिस चौकी के सामने से गुजरी, लेकिन पुलिस ने अब तक इलाके के सीसीटीवी कैमरे की फुटेज तक नहीं ली है। इस घटना के बाद परिवार की सुरक्षा और पुलिस के इस रवैये को लेकर सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव ने सेना के उच्च अधिकारियों से मामले की शिकायत की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश के डीजीपी से भी पूरे मामले में जल्द कार्रवाई करने के निर्देश देने की अपील भी की है।
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मेजर योगेंद्र सिंह पुलिस के इस ढुलमुल रवैये से बेहद हताश और निराश हैं। उनका कहना है कि सेना का मनोबल इस तरह से गिरता है, क्योंकि कोई भी जांबाज जवान देश की सीमा पर जान की बाजी लगाते हुए सोचता है कि देश और प्रदेश की सरकार के साथ पुलिस प्रशासन उनके परिवार और उनकी संपत्ति की हिफाजत करेगा, लेकिन यहां 4 दिन बाद भी न तो उनकी कार का पता चला है, ना ही पुलिस कोई जांच कर रही है। वहीं पुलिस की मानें तो वह इस पूरे मामले में केस दर्ज कर चोरों की तलाश कर रही है।
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बता दें कि पीड़ित सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव की तैनाती इन दिनों बरेली में है। वह पराक्रम दिवस के अवसर पर दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए थे। अपनी स्कार्पियो को गाजियाबाद के साहिबाबाद स्थित लाजपतनगर में अपने घर पर खड़ी कर वह अपनी ग्रेनेडियर्स यूनिट के कार्यक्रम में हिस्सा लेने बाराबंकी आ गए। बीते एक अक्टूबर की सुबह चार बजे उनके घर के सामने से कार चोरी हो गई। कार में लगे जीपीएस ट्रैकर के मुताबिक, चोर उसे साहिबादबाद थाना क्षेत्र में शनी चौक पुलिस चौकी के सामने से लेकर भागे। इसके बाद चोरों ने कुछ दूर जाकर ट्रैकर को निकाल दिया। इस चौकी में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। उनकी पत्नी रीता सिंह सुबह छह बजे के करीब पुलिस चौकी पहुंचीं। जहां पुलिस ने करीब 9 घंटे के बाद एफआइआर दर्ज की। सूचना मिलते ही सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव भी यहां पहुंच गए। सबूेदार मेजर ने बताया कि पुलिस 4 दिन से उन्हें टरका रही है। पुलिस के इस शर्मनाक रवैये की हद तो ये है कि साहिबादबाद थाना इंचार्ज अब जवाब देने के बजाय इस परमवीर चक्र विजेता का फोन तक नहीं उठा रहे हैं। शनी चौक पुलिस चौकी के सीसीटीवी कैमरे की फुटेज की भी जांच नहीं की गई।
वहीं पुलिस का कहना है कि पीड़ित की शिकायत पर चोरी का केस दर्ज कर लिया गया है। जिले की ऑटो थेप्ट सेल को भी सूचना दे दी गई है। साहिबाबाद थाने की पुलिस टीम और ऑटो थेप्ट सेल दोनों की टीम चोरी हुई स्कॉर्पियो कार की तलाश में जुटी हैं। जल्द की कार को बरामद कर चोरों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
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यूपी पुलिस नहीं कर रही मदद

दरअसल, सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव ने सेना के बड़े अधिकारियों को भी एफआईआर की प्रति सहित अपनी शिकायत भेजी है, जिसमें बताया कि यूपी पुलिस उनकी मदद नहीं कर रही है। आज घर के सामने कार चोरी हुई। कल परिवार के सदस्यों में असुरक्षा की भावना बढ़ती जाएगी। ऐसे में सीमा पर तैनाती के समय भी परिवार की सुरक्षा का भय बना रहेगा। उच्च सेनाअधिकारी ने भी इस पूरे मामले में सूबे के उच्च अधिकारियों से सम्पर्क किया है। सूबेदार मेजर योगेन्द्र यादव परेशान हैं। उन्होंने पुलिस पर लापरवाही और लीपापोती के आरोप लगाए हैं। उन्होंने सूबे के डीजीपी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जल्द कार्रवाई कराने के निर्देश स्थानीय पुलिस को देने की अपील की है।
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अब तक कुल 21 लोगों को मिला है परमवीर चक्र

बता दें कि भारत में अब तक कुल 21 लोगों को ही परमवीर चक्र मिला है। इसमें 14 को यह पदक मरणोपरांत दिया गया। पहली बार 1947 में यह पदक कश्मीर में पाकिस्तानी कबाइलियों के हमले में शहीद मेजर सोमनाथ शर्मा को दिया गया था। जबकि अंतिम बार कारगिल युद्ध के लिए 1999 में परमवीर चक्र कैप्टन मनोज पांडेय व सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव को मिला था। उत्तर प्रदेश में अब तक चार जांबाजों को परमवीर चक्र मिला है। इसमें नायक जदुनाथ सिंह (मरणोपरांत) को 1947-48 भारत-पाक युद्ध, हवलदार अब्दुल हमीद (मरणोपरांत) को 1965 के भारत-पाक युद्ध, कैप्टन मनोज कुमार पांडेय (मरणोपरांत) को 1999 के कारगिल युद्ध और सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव (सेवारत) को 1999 के कारगिल युद्ध में यह पदक मिला है।

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