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विपक्ष ने बदली रणनीति
रोजा और तेज गर्मी को देखते हुए विपक्ष ने चुनाव प्रचार की रणनीति बदलनी शुरू कर दी है। रोजा और गर्मी को देखते हुए विपक्ष दल सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और रालोद प्रमुख अजित सिंह की मुस्लिम इलाकों में होने वाली सभाओं को 17 मई से पहले कराने की तैयारी चल रही है।
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इसलिए सुर्खियों में है कैराना-नूरपुर
दरअसल, कैराना और नूरपुर उपचुनाव को 2019 के आम चुनाव के लिए सेमिफाइनल माना जा रहा है। यहीं वजह है कि सत्ताधारी बीजेपी और विपक्ष हर हाल में यहां जीत हासिल करना चाहती है। इन दोनों सीटों को फतह के लिए दोनों तरफ से प्लान वर्करों को सौंप दिए गए हैं। इसके बाद भी कैराना से लोकसभा उपचुनाव में रालोद और सपा की संयुक्त उम्मीदवार तबस्सुम हसन के साथ ही नूरपुर से सपा प्रत्याशी नईमुलहसन को 16 या 17 मई से शुरू होने वाले रमजान के महीने की टेंशन सता रही है।
तेज कर्मी से है ज्यादा बेचैनी
सपा-रालोद की संयुक्त उम्मीदवार की कोर कमिटी से जुड़े लोगों का कहना है कि पहले भी रमजान माह के दौरान मतदान पड़ते रहे हैं, लेकिन तब मौसम तेज गर्मी का नहीं था। अब मई में भारी गर्मी रहेगी। इस बार गर्मी के तेवरों ने अभी से ही असर दिखाना शुरू कर दिया। 28 मई तक तो गर्मी और बढ़नी तय है। इसलिए कोर कमिटी का मानना है कि मुसलमानों को गर्मी में वोट डलवाने के लिए बूथ तक ले जाना किसी चुनौती से कम नहीं होगा। अब इससे निपटने की रणनीति पर मंथन चल रहा है।
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स्थानीय लोग भी यही कह रहे है कि वोट किसको देंगे ये दिगर बात है, लेकिन तेज गर्मी में घर से निकलना आसान नहीं है। दरअसल, वोट डालने के लिए लंबी-लंबी लाइने लगती हैं। ऐसे में वोट डालने के लिए धूप में लंबी लाइन में खड़ा होना आसान नहीं होगा। हालांकि, लोग ये भी कह रहे हैं कि अपने वोट का इस्तेमाल करा हमारा फर्ज है। कोशिश करेंगे कि रोजे होने के बावजूद वोट देने जाएं। वहीं, आरएलडी और सपा के नेता भी ये मान रहें हैं कि गर्मी में रोजा होने की वजह से लोगों को वोट डालने जाने में थोड़ी दिक्कत हो सकती हैं, लेकिन वह बड़ी दिक्कत बीजेपी की कुशासन के खिलाफ जज्बा दिखाएंगे और घरों से निकलकर वोट डालने जाएंगे। इसके साथ ही इन दलों ने एक-एक कार्यकर्ताओं को हिदायत दी रखी है कि लोगों से ज्यादा से ज्यादा वोट डालने की अपील करें।
भजपा खेमे में खुशी की लहर
मुस्लिमों की बड़ी संख्या वाले इन दोनों सीटों पर तेज गर्मी और रमजान में मतदान होने से बीजेपी में खुशी की लहर है। दरअसल, भाजपा के नेताओं को उम्मीद है कि गर्मी और रोजे की वजह से मुसलमान वोट डाले के लिए कम निकलेंगे, जिसका सीधा फायदा भाजपा को मिलेगा। हालांकि, भाजपा के लिए कैराना से अच्छी खबर ये भी है कि विपक्षी प्रत्याशी तबस्सुम हसन के देवर कंवर हसन भी चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में मुस्लिमों के वोट बंटने की संभावना है। इसके बाद बीजेपी ने वर्करों को लक्ष्य सौंपा है कि वोटिंग का 55 फीसदी अपने हक में कराएं। ऐसे में जहां स्थिति मजबूत होगी, वहीं विपक्ष के हक में रोजे होने की वजह से खासकर मुसलमानों का वोट प्रतिशत कम होने के चलत उनको फायदा मिलेगा।