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गाज़ियाबाद

मेरठ और दिल्ली के बाद अब गाजियाबाद बना वाहन कटान की मंडी, लाखों की लक्जरी गाड़ी हजारों में

मेरठ के सोती गंज को वाहनों का कमेला बोला जाता है। यहां पर पूरे देश के चोरी के वाहन काटे जाते हैं। सोती गंज के वाहन चोर कबाड़ी करोड़पति नहीं बल्कि अरबपति हैं। लेकिन बीजेपी की सरकार आने के बाद पुलिस और प्रशासन की नजरें टेड़ी हुई तो इन कबाड़ियों के बुरे दिन शुरू हो गए।

गाज़ियाबादOct 29, 2021 / 05:50 pm

Nitish Pandey

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गाजियाबाद. दिल्ली के सुंदर नगरी और मेरठ के सोतीगंज के बाद जिला गाजियाबाद भी वाहन कटान की मंडी बनता जा रहा है। पुलिस ने चार दिन के अंदर विजय नगर और लोनी में चोरी के वाहन काटने वाले 23 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनके कब्जे से भारी मात्रा में चोरी के दो और चार पहिया वाहन बरामद हुए हैं। जिनकी असली कीमत करोड़ों में है। पुलिस का दावा है कि जल्द कुछ वाहन चोरों को गिरफ्तार किया जाएगा।
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मेरठ और दिल्ली में कटान पर लगी रोक

मेरठ के सोतीगंज और दिल्ली के सुंदर नगरी इलाके में पुराने कबाड़ वाहन काटने का काम होता था। अधिकारियों की मानें तो पुराने वाहनों की आड़ में वहां चोरी के वाहन काटे जाते थे, जिसे रोकने के लिए पुलिस ने करीब पांच माह पूर्व मेरठ और चार माह पूर्व सुंदर नगरी, दिल्ली में कटान पर रोक लगा दी। अधिकारियों के सख्त रवैये को देखकर अवैध कारोबारी वहां से भाग खड़े हुए।
मेरठ में कसा शिकंजा तो गाजियाबाद को बनाया अड्डा

चोरी के वाहन काटने के लिए कारोबारियों ने गाजियाबाद को चुना है। पुलिस ने बीते 25 अक्टूबर को विजयनगर से 10 आरोपितों को गिरफ्तार कर 10 मोटरसाइकिल और अन्य सामान बरामद किया था। गिरोह को पिता-पुत्र चला रहे थे। वहीं दूसरी ओर पुलिस ने ट्रानिका सिटी औद्योगिक क्षेत्र से 13 आरोपितों को गिरफ्तार कर 77 चार पहिया वाहन बरामद किए हैं।
लाखों की लग्जरी हजारों में

खून पसीने की कमाई से खरीदी गई लाखों की कार की कीमत अवैध कारोबार की मंडी में महज हजारों में हो जाती है। ट्रानिका सिटी औद्योगिक क्षेत्र में अवैध कारोबार कर रहे देवेंद्र शर्मा ने पुलिस गिरफ्त में बताया कि वह लग्जरी कार को महज 50 से 70 हजार रुपये में खरीदते थे। वाहन चोर इतने रुपये लेकर खुश हो जाते थे। उसने बताया कि फोन पर कोड भाषा में बात करते थे। वह कार को सामान बोलते थे। वाहन चोरी करने वाला बोलता था, सामान लेकर आ रहा हूं। माल तैयार रखना।
कार लाओ काट कर ले जाओ

देवेंद्र शर्मा ने बताया कि यहां दो तरीके से कारोबार किया जाता था। एक तो फैक्ट्री संचालक चोरी की कार को खरीद लेते थे। दूसरे वाहन चोर कार लेकर आते और फैक्ट्री में कार के पार्ट्स अलग-अलग कर टैंपो में वापस ले जाते थे। फैक्ट्री इस्तेमाल करने के वाहन चोर उन्हें 10 हजार रुपये देते थे। चोरी के वाहन खरीदने में काफी कबाड़ी शामिल हैं। उनकी दुकानों पर चोरी के वाहनों की डील होती थी। ट्रोनिका सिटी औद्योगिक क्षेत्र से गिरफ्तार आरोपितों से पूछताछ की गई। कुछ वाहन चोर और चोरी के वाहन काटने वालों के संबंध में जानकारी मिली है। जल्द छापेमारी कर उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा।

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