सरकार के इस फैसले से पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, असम, आंध्र प्रदेश, मेघालय और त्रिपुरा में रहने वाले किसानों को सबसे ज्यादा लाभ मिलेगा। क्योंकि इन सभी राज्यों में जूट का उत्पादन सबसे ज्यादा होता है। जूट परियोजना, आईकेयर के अंतर्गत तीन एजेंसियां – भारतीय पटसन निगम (जेसीआई), राष्ट्रीय जूट बोर्ड (एनजेबी) और सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर जूट एंड एलाइड फाइबर्स (सीआरआईजेएएफ) के जरिए जूट की मात्रा और गुणवत्ता में सुधार के लिए आधुनिक कृषि-विज्ञान के इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है।
जूट उद्योग को बढ़ावा देने एवं कामगारों को रोजगार का अवसर प्रदान करने के लिए सरकार जूट की बोरियों का इस्तेमाल पैकेजिंग के लिए करती हैं। जूट उद्योग का विकास पूरी तरह से सरकार पर निर्भर है इसलिए खाद्यान्न की पैकिंग के लिए सरकार हर साल 6500 करोड़ रुपये से भी अधिक कीमत की जूट की बोरियां खरीदती है।