50 लाख लोगों को होगा फायदा
पीएम स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि योजना को आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत लांच किया है। मंत्रालय के अनुसार इसका उद्देश्य शहरी क्षेत्रों और उसके आसपास के अर्ध-शहरी, ग्रामीण क्षेत्रों के लगभग 50 लाख स्ट्रीट वेंडर्स (रेहड़ी-पटरी वाले छोटे व्यापारी) को कोविड-19 लॉकडाउन के बाद फिर से अपना कारोबार शुरू करने के लिए बिना किसी गारंटी के एक साल की अवधि के लिए 10,000 रुपए तक के कार्यशील पूंजी ऋण की सुविधा देना है। इसके तहत ऋण के नियमित भुगतान करने पर प्रोत्साहन के रूप में प्रति वर्ष 7 फीसदी की ब्याज सब्सिडी, निर्धारित डिजिटल लेनदेन करने पर सालाना 1,200 रुपए तक का कैशबैक और आगे फिर से ऋण पाने की पात्रता भी प्रदान की गई है।
सभी बैंक और नॉन बैंक संस्थाओं को जोड़ा गया
पीएम स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि योजना में अनुसूचित व्यावसायिक बैंकों- सार्वजनिक एवं निजी, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, सहकारी बैंकों, स्वयं सहायता समूह बैंकों के अलावा ऋण देने वाली संस्थाओं के रूप में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और लघु वित्तीय संस्थानों को योजना से जोड़कर इन छोटे उद्यमियों के द्वार तक बैंकों की सेवाएं पहुंचाने का विचार किया गया है। डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म पर इन विक्रेताओं को लाना इनके क्रेडिट प्रोफाइल का निर्माण करने के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटक है, ताकि इन्हें औपचारिक शहरी अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनने में मदद मिल सके।
सिडबी के पास है पूरी योजना की जिम्मेदारी
इस योजना को लागू करने की जिम्मेदारी भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक को दी गई है। स्ट्रीट वेंडर्स को उधार देने के लिए इन ऋणदाता संस्थानों को लघु एवं मध्यम उद्योगों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (सीजीटीएमएसई)के माध्यम से प्रोत्साहित करने हेतु इनके पोर्टफोलियो के आधार पर एक ग्रेडेड गारंटी कवर प्रदान किया जाता है।