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Yogini Ekadashi 2021 Significance: योगिनी एकादशी का व्रत करता है हर शाप का निवारण!

आषाढ़ कृष्ण पक्ष की एकादशी ही कहलाती है योगिनी एकादशी…

Jul 02, 2021 / 10:47 pm

दीपेश तिवारी

yogini ekadashi 2021

yogini ekadashi

हिंदू कैलेंडर में यूं तो हर माह दो एकादशी आती हैं, लेकिन हर एकादशी का अपना एक खास नाम है। ऐसे में Hindu calendar हिंदू कैलेंडर के चौथे माह यानि आषाढ़ के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को Yogini Ekadashi योगिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। जो yogini ekadashi kab hai इस साल यानि 2021 में 05 जुलाई को हैं।

इस एकादशी Ekadashi को भगवान नारायण की पूजा आराधना की जाती है। श्री नारायण भगवान विष्णु का ही नाम है। इस दिन व्रत करते हुए भगवान नारायण की मूर्ति को स्नान कराके भोग लगाते हुए पुष्प,धूप,दीप से आरती उतारनी चाहिए। अन्य एकादशी के समान ही भगवान विष्णु या उनके Lakshmi Narayan Puja लक्ष्मी नारायण रूप की पूजा आराधना और दान आदि करना चाहिए।

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Yogini Ekadashi 2021 date and auspicious time: योगिनी एकादशी (आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी) 2021 की तिथि व शुभ मुहूर्त…

एकादशी तिथि प्रारंभ: 04 जुलाई 2021, रविवार : 19.55 बजे से शुरू
एकादशी तिथि का समापन: 5 जुलाई 2021, सोमवार : 22.30 बजे तक

वहीं उदया तिथि के अनुसार एकादशी तिथि 5 जुलाई 2021 को रहेगी।

Yogini Ekadashi 2021 Parana Time: योगिनी एकादशी 2021 पारण समय…

योगिनी एकादशी व्रत का पारण 06 जुलाई 2021 मंगलवार को…
पारण का समय: 06 जुलाई 2021 मंगलवार: 05.29 AM बजे से 08:16 AM बजे तक।

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– ध्यान रहे एकदशी व्रत के नियमों के अनुसार व्रत का Parana of Vrat पारण द्वादशी तिथि के समापन से पूर्व तक कर लेना चाहिए।

Yogini Ekadashi Rules योगिनी एकादशी के नियम

1.इस yogini ekadashi vrat vidhi व्रत के नियम एक दिन पूर्व शुरू हो जाते है। दशमी तिथि की रात्रि में ही व्यक्ति को जौं, गेहूं और मूंग की दाल से बना भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए।
2. वहीं व्रत वाले दिन नमक युक्त भोजन नहीं करना चाहिए, इसलिए दशमी तिथि की रात्रि में नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।
3. एकादशी तिथि के दिन प्रात: स्नान आदि कार्यो के बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है।

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4. इसके बाद कलश स्थापना की जाती है, कलश के ऊपर lord vishnu भगवान विष्णु की प्रतिमा रख कर पूजा की जाती है। व्रत की रात्रि में जागरण करना चाहिए।
5. यह व्रत दशमी तिथि की रात्रि से शुरू होकर द्वादशी तिथि के प्रात:काल में दान कार्यो के बाद समाप्त होता है।

Significance of Yogini Ekadashi: योगिनी एकादशी का महत्व

इस दिन गरीब ब्राह्मणों को दान देना परम श्रेयस्कर माना गया है। माना जाता है कि इस yogini ekadashi importance एकादशी का व्रत करने से संपूर्ण पाप नष्ट हो जाते हैं और पीपल वृक्ष को काटने जैसे पाप तक से मुक्ति मिल जाती है। इसके अलावा यह भी माना जाता है कि योगिनी एकादशी व्रत को करने से 88 हजार ब्राह्राणों को भोजन करने के बराबर का फल मिलता है।

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मान्यता के अनुसार इसके अलावा किसी के दिए हुए शाप का निवारण तक इससे हो जाता है। इस व्रत को करने से व्रती इस लोक में सुख भोगकर अंत में मोक्ष प्राप्त कर स्वर्गलोक की प्राप्ति करता है। यह एकादशी शरीर की समस्त आधि-व्याधियों को नष्ट कर सुंदर रूप, गुण और यश देने वाली है।

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Chant this Mantra: जरूर करें इस मंत्र का जाप

माना जाता है कि योगिनी एकादशी का व्रत करने से व्रती की मनोकामनाएं पूर्ण होने के साथ ही पापकर्मों से भी मुक्ति मिलती है। इस दिन भगवान विष्णु की प्रसन्नता के लिए भगवान विष्‍णु के सरल मंत्र ”ओम नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप अवश्य करना चाहिए।

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Yogini Ekadashi katha: योगिनी एकादशी की कथा

yogini ekadashi vrat katha: प्राचीन काल में Alkapuri अलकापुरी में राजा कुबेर के यहां हेम नामक एक माली रहता था। उसका कार्य हर रोज भगवान शंकर के पूजनार्थ मानसरोवर से फूल लाना था। एक दिन उसे अपनी पत्नी के साथ स्वछंद विहार करने के कारण फूल लाने में काफी देर हो गई। जिस कारण वह दरबार में देरी से पहुंचा। इससे क्रोधित होकर कुबेर ने उसे कोढ़ी होने का शाप दे दिया।

शाप से कोढ़ी होकर हेम नामक वह माली इधर-उधर भटकता हुआ एक दिन दैवयोग से Markandeya Rishi मार्कंण्डेय ऋषि के आश्रम में जा पहुंचा। ऋषि ने अपने योगबल से उसके दुखी होने का कारण जान लिया। तब ऋषि ने उसे योगिनी एकादशी का व्रत करने को कहा। व्रत के प्रभाव से हेम माली का कोढ़ समाप्त हो गया और वह दिव्य शरीर धारण कर स्वर्गलोक को प्रस्थान कर गया।

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