माना जाता है कि बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए यह दिन बेहद खास होता है। क्योंकि इसी दिन भगवान गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था। इसीलिए इस पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा कहकर पुकारा जाता है। भोपाल के ज्योतिषाचार्य पं. जगदीश शर्मा के मुताबिक इस साल बुद्ध पूर्णिमा 5 मई को मनाई जाएगी। साथ ही यह पूर्णिमा कुछ विशेष और दुर्लभ संयोगों में मनाई जाएगी। इसलिए इसका महत्व और भी बढ़ गया है। पत्रिका.कॉम के इस लेख में जानें क्या हैं वे विशेष या दुर्लभ संयोग और पूजा का शुभ मुहूर्त भी…
इन दुर्लभ संयोगों में मनाई जाएगी बुद्ध पूर्णिमा
पंचांग के मुताबिक इस साल बुद्ध पूर्णिमा 5 मई को मनाई जाएगी। साथ ही ये बुद्ध पूर्णिमा बेहद खास रहेगी। दरअसल इस बुद्ध पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण पड़ रहा है। साथ ही ग्रह-नक्षत्रों का विशेष संयोग भी बन रहा है। पंचांग के मुताबिक वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 4 मई गुरुवार की रात 11 बजकर 44 मिनट से शुरू हो जाएगी। अगले दिन 5 मई शुक्रवार की रात 11 बजकर 3 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा 5 मई शुक्रवार को मनाई जाएगी।
5 मई को वैशाख पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण भी पड़ रहा है। 5 मई की रात 8 बजकर 45 मिनट से शुरू होकर चंद्र ग्रहण की अवधि 5 और 6 मई की दरमियानी रात को 1 बजे तक रहेगी। इसके पहले 5 मई को सूर्योदय से लेकर सुबह 9 बजकर 17 मिनट तक सिद्धि योग रहेगा। इसी दिन स्वाती नक्षत्र भी रहेगा। ज्योतिषाचार्य का कहना है कि बुद्ध पूर्णिमा पर ऐसा योग 130 साल बाद बन रहा है। स्वाती नक्षत्र सुबह से लेकर रात 9 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। इस तरह वैशाख पूर्णिमा के दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त दिन में 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा।
वैशाख पूर्णिमा पर शुभ योग और भद्रा का साया
वैशाख पूर्णिमा की सुबह से लेकर रात 9 बजकर 17 मिनट तक सिद्धि योग रहेगा। उसके बाद से व्यतीपात योग लग जाएगा। सिद्धि योग को शुभ कार्यों के लिए अच्छा माना जाता है। इसके अलावा वैशाख पूर्णिमा के दिन स्वाती और विशाख नक्षत्र रहेंगे। इन्हें भी शास्त्रों में बेहद शुभ माना गया है। वहीं वैशाख पूर्णिमा पर भद्रा काल शाम 5 बजकर 1 मिनट से शुरू हो जाएगा, यह रात 11 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। लेकिन इस भद्रा का वास पाताल लोक में रहेगा। इसीलिए इसका पृथ्वी लोक पर कोई प्रभाव नहीं होगा। इसीलिए भद्रा किसी भी शुभ काम में बाधा नहीं बनेगी।