शुक्रवार को दोनों राज्यों की फिर हुई बैठक में जल संसाधन विभाग ने प्रदेश के हिस्से का पानी मांगा। राजस्थान ने हर साल की तरह हां कर दी है। समझौते के अनुसार, प्रदेश को कोटा बैराज से हर साल 3900 क्यूसेक पानी मिलना है। इससे चंबल संभाग के जिलों में करीब 3,62,100 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होती है। अफसरों की मानें तो नवंबर में रबी सीजन के दौरान पानी की मांग रहती है। हालांकि राजस्थान 2800-2900 क्यूसेक पानी ही देता है। 3100 क्यूसेक से ज्यादा पानी कभी नहीं मिलता।
350 किमी तक नहरें
श्योपुर, भिंड और मुरैना तक 350 किमी लंबा नहरों का जाल बिछा है। पूरा पानी नहीं मिलने से तीनों जिलों के अंतिम छोर तक पानी नहीं पहुंच पाता। ऐसे में ऊपरी हिस्से में पानी रोककर नीचे के छोर तक पहुंचाया जाता है। सबसे ज्यादा लहार-अटेर वाला इलाका प्रभावित होता है।
विधानसभा की 13 सीटों पर है बड़ा मुद्दा
किसानों को पानी नहीं मिलने का मुद्दा तीनों जिलों की 13 सीटों को प्रभावित करता है। 2018 के विधानसभा चुनाव में 13 में से 10 सीट कांग्रेस को मिली थीं। 25 साल में दोनों राज्यों में भाजपा और कांग्रेस की सरकार रही। समान पार्टी की सरकार होने के बाद भी राजस्थान ने कभी मध्यप्रदेश की इस मांग का ध्यान नहीं रखा।
१. राजस्थान हर साल नहरों में सीपेज का बहाना बनाकर पानी रोकता है।
२. दोनों राज्य मेंटेनेंस पर 50-50 प्रतिशत राशि खर्च करते हैं।
३. कोटा बैराज से दोनों राज्यों को 6656 क्यूसेक पानी सिंचाई के लिए मिलता है।
किसने क्या कहा
राजस्थान के अफसरों से मप्र के हिस्से का पूरा पानी मांगा है। राजस्थान समझौते का पालन नहीं करता।
-शिशिर कुशवाह, ईएनसी जल संसाधन
रबी सीजन में पानी की दिक्कत होती है। जल संसाधन विभाग के अफसरों के साथ बैठकर समस्या का समाधान कराते हैं। प्रदेश के हिस्से का पूरा पानी मिलना चाहिए।
राकेश मावई, विधायक, मुरैना
राजस्थान सरकार हर साल कम पानी देती है। इस बार पानी कम दिया तो हम प्रमुखता से उठाएंगे।
-सीताराम आदिवासी, विधायक, विजयपुर
नहरों में 16 से छोड़ा जाएगा पानी
कोटा. राजस्थान-मध्यप्रदेश अंतरराज्यीय कंट्रोल बोर्ड कोटा के सचिव संदीप सोहल ने बताया कि मप्र ने 19 अक्टूबर तक पानी पहुंचाने की मांग की है। चंबल से मप्र तक पानी पहुंचने में दो-तीन दिन लगते हैं। ऐसे में 16 या 17 अक्टूबर को नहरों में पानी छोड़ा जाएगा। दाईं मुख्य नहर का सालाना रखरखाव समय पर कराने का मुद्दा भी उठा। राजस्थान ने एमपी फंड का हिस्सा मांगा। मप्र ने कहा कि दो वर्ष में कोई रखरखाव नहीं कराया गया, ऐसे में फंड नहीं दिया गया।