जीडीपी ग्राेथ: इकोनाॅमिक सर्वे में वित्त वर्ष 2019-20 के लिए सरकार ने सकल घरेलू उत्पाद का अनुमान 7 फीसदी रखा है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि मैक्रोइकोनाॅमिक स्थित ठीक रहती है तो हम इस अनुमान को हासिल कर लेंगे। सर्वे में लिखा गया है, “बीते पांच साल में भारत का औसत जीडीपी 7.5 फीसदी रहा है।” सर्वे में यह भी कहा गया है कि भारत को 5 ट्रिलियन डाॅलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए जीडीपी दर 8 फीसदी रहना जरूरी है।
निवेश: मुख्य आर्थिक सलाहकार के. सुब्रमण्यम ( K Subramaniam ) के अनुसार, 8 फीसदी की आर्थिक ग्रोथ दर निवेश के जरिये पाया जा सकता है। निवेश को लेकर सर्वेक्षण में कहा गया, “अर्थव्यवस्था की साइकिल को पूरा करने के लिए जरूरी है कि निवेश, उत्पादन ग्रोथ, रोजगार, मांग और निर्यात में निरंतरता जरूरी है।”
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रोजागारः इस सर्वे में रोजगार के लिए सरकार ने लघु एवं मझाेले उद्योगों पर विशेष तौर पर ध्यान दिया है। नए-नए फर्म्स पर ग्रोथ के लिए सरकार की नजर है। सर्वे में कहा गया कि रोजगार पैदा करने के लिए 10 साल से कम के फर्म्स को सपोर्ट करने की जरूरत है।
ब्याज दरः सर्वे में कहा गया अर्थव्यवस्था को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक का रुख बेहतर है। इससे वित्तीय सेक्टर को सपोर्ट मिल सकेगा। जून माह की मौद्रिक समीक्षा नीति बैठक में आरबीआई ने लगातार तीसरी बार रेपो रेट में कटौती किया था।
NPA: सर्वे में नाॅन-परफाॅर्मिंग एसेट ( फंसा कर्ज ) में कमी होने की भी उम्मीद है। अर्द्ध-वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, पब्लिक सेक्टर बैंकों पर एसेट टेस्ट करने से पता चला है कि मार्च 2020 तक ग्राॅस एनपीए ( GNPA ) मार्च 2019 के 12.6 फीसदी से घटकर 12 फीसदी के स्तर पर आ जायेगा।
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तेल की कीमतेंः इस सर्वे में वित्त वर्ष 2019-20 के लिए तेल की कीमतों में गिरावट की उम्मीद की जा रही है, जिसके बाद बाद अर्थव्यवस्था में खपत बढ़ेगी। हालांकि, इस बात को भी पूरी तरह से नकारा नहीं गया है कि कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है। हाल के दिनों में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट रही है।
ट्रेड वाॅरः सर्वे में सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि ट्रेड वाॅर को लेकर अनिश्चित्तता और सुस्त पड़ती वैश्विक अर्थव्यवस्था की वजह से निर्यात पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि हमें निवेश-नियोजित माॅडल की मदद से आक्रामक निर्यात पर ध्यान देना हाेगा।
खपतः ग्रामीण मेहनताना ग्रोथ विकास में बीते कुछ सालों के दौरान गिरावट आई थी। 2018 के मध्य में इसमें तेजी देखने को मिल रही है। खाद्य पदार्थों में तेजी की वजह से ग्रामीण इनकम में बढ़ोतरी दर्ज की गई है और खर्च करने की क्षमता में भी इजाफा हुआ है।
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निर्यातः वित्त वर्ष 2019-20 के लिए निर्यात ग्रोथ में कमी आई है। सर्वे में कहा गया है, “भारतीय बाजार के हिसाब से सामान आयात करने वाले प्रमुख देशों से हम निर्यात नीति में बदलाव करने जा रहे हैं। इससे हमें निर्यात बढ़ाने में मदद मिल सकेगी।”
मिनिमम वेज सिस्टमः इकोनाॅमिक सर्वे में मिनिमम वेज सिस्टम को भी रिडिजाइन करने की बात कही गई है। इस संबंध में सर्वे में कहा गया, “मजदूरी बिल पर संहिता के तहत प्रस्तावित न्यूनतम मजदूरी के युक्तिकरण को समर्थन देने की आवश्यकता है। यह कोड न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948, मजदूरी अधिनियम, 1936 का भुगतान, बोनस अधिनियम, 1965 का भुगतान और समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976 को समाप्त करने पर होगा।” सर्वेक्षण में कहा गया है कि नए कानून में ‘मजदूरी’ की परिभाषा को अलग-अलग श्रम अधिनियमों में मजदूरी की 12 अलग-अलग परिभाषाओं की वर्तमान स्थिति में रखा जाना चाहिए।
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