डायबिटीज के मरीजों में अक्सर हार्ट फेलियर के लक्षण पता नहीं चल पाते क्योंकि डायबिटीज के उपचार के कारण ये लक्षण दब जाते हैं। इसके चलते निदान में विलम्ब हो सकता है और डॉक्टर से मिलते-मिलते हार्ट फेलियर का रोग उन्नत अवस्था में पहुंच सकता है। ऐसी स्थिति में अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है।
विश्व मधुमेह दिवस (14 नवंबर) के अवसर पर मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल ते इंटरवेंशन कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. देव पहलाजानी ने कहा, ”मेरे पास हर महीने आने वाले कुल हृदयरोगियों में से लगभग 10 फीसदी को किसी न किसी स्तर का हार्ट फेलियर रहता है। इस्कीमिक हृदयरोगों और डायबिटीज एवं हाइपरटेंशन जैसी गंभीर अवस्थाओं में वृद्धि के कारण हार्ट फेलियर के मामले बढ़ रहे हैं।”
एआईआईएमएस में कार्डियोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. अम्बुज रॉय ने कहा, ”हमें डायबिटीज जैसे खतरनाक घटकों पर निवेश करने की जरूरत है, नहीं तो हमें विशेषकर युवाओं को हृदयधमनी रोगों का भारी संकट झेलना पड़ेगा।”
डायबिटीज में मरीजों को टखनों, पैरों और पेट में सूजन, लगातार थकान महसूस होना, अनियांत्रिक ग्लूकोज स्तर, सांसों की कमी जैसे निम्नलिखित लक्षणों को लेकर सजग रहना चाहिए। चिकित्सकों के मुताबिक, डायबिटीज, हाइपरटेंशन आदि जैसी गंभीर अवस्थाओं वाले मरीजों के लिए जरूरी है कि वे अपनी नियमित जांच कराते रहें। समय पर निदान होने से डायबिटीज के मरीजों में हार्ट फेलियर का प्रभावकारी प्रबंधन किया जा सकता है।