1. प्राइमरी हैडेक : माइग्रेन, टेंशन और टाइप हैडेक (तनाव से सिरदर्द) आदि।
2. सेकेंडरी हैडेक : यह अन्य कारणों से होता है जैसे ब्रेन ट्यूमर, ब्रेन हैमरेज और दिमागी बुखार आदि। मस्तिष्क में रासायनिक प्रतिक्रिया के फलस्वरूप रक्त वाहिनियों में परिवर्तन को माइग्रेन की प्रमुख वजह माना जाता है। इससे पीडि़त रोगी को शुरुआत में हल्का सिरदर्द होता है और फिर यह बढ़ता जाता है। इसके अलावा उल्टी या मिचली होती है और शोर व रोशनी से परेशानी होने लगती है।
खानपान, हार्मोंस व मौसम में बदलाव, नींद की कमी और मानसिक तनाव, माइग्रेन को बढ़ाते हैं। अलग-अलग लोगों में इसकी वजह भिन्न-भिन्न हो सकती है। इसके इलाज के लिए सबसे पहले वजह जानना जरूरी है।
डॉक्टर रोगी के लक्षणों व जांचों के आधार पर माइग्रेन व अन्य सिरदर्द का पता लगाते हैं। सिरदर्द का क्लिनिकल उपचार होता है। बच्चों को माइग्रेन, बड़ों से किस तरह अलग होता है?
बच्चों और नवजातों में अक्सर माइग्रेन का पता नहीं चल पाता। बचपन में माइग्रेन से होने वाला सिरदर्द कम पीड़ादायक होता है लेकिन अस्पष्ट कारणों से उल्टी, पेटदर्द या चक्कर आने जैसे कई अन्य लक्षण भी हो सकते हैं। माइग्रेन शुरू होने से पहले बच्चों को भूख नहीं लगती, चिड़चिड़ापन, बार-बार उबासी आना, आलस व मूड में बदलाव जैसे लक्षण हो सकते हैं।
जीवन में पहली बार तेज सिरदर्द के साथ बुखार, वजन कम होना, हाथ व पैरों में कमजोरी या बेहोशी जैसे गंभीर लक्षण हो सकते हैं। ऐसे रोगियों को फौरन विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए।