आपने देखा होगा जब हम किसी बीज को उगाते हैं, तो एक अंकुर फूटता है और जो पहली पत्तिया दिखाई देती हैं, वे बीज की पत्तियां होती हैं, फिर इसके बाद उगने वाली पत्तियों को माइक्रोग्रीन्स कहा जाता है, इन्हें मिट्टी और बिना मिट्टी के भी उगाया जा सकता है। इनकी कटाई तब की जाती है, जब वे कुछ हफ़्ते के हो जाते हैं। माइक्रोग्रीन्स स्प्राउट्स की तुलना में बढ़ने में थोड़ा अधिक समय लेते हैं। सुपरफूड के रूप में माइक्रोग्रीन्स को घर पर उगाया जाता है। यह बेबी ग्रीन्स स्वास्थ्य लाभ से भरपूर होते हैं और एंटीऑक्सिडेंट का बेहतर स्रोत होते हैं।
माइक्रोग्रीन्स के बहुत सारे स्वास्थ्य लाभ है, विशेष रूप से यदि आप ब्रोकली के माइक्रोग्रीन्स का उपयोग करते हैं, तो इससे कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोका जा सकता है। ब्रोकली में सल्फोराफेन अधिक मात्रा में होता है और शोध कहते है कि सल्फोराफेन कैंसर को रोकने में सहायक है। इसके अलावा पुरानी से पुरानी बीमारी में भी इससे आराम मिलता है, यह वजन को भी नियंत्रित करती है।
नियमित रूप से माइक्रोग्रीन्स के सेवन से पेट संबंधी समस्याओं से भी निजात मिलती है, इसमें अच्चे बैक्टीरिया पाए जाते हैं, जो आंतों को स्वस्थ्य बनाए रखते है। पालक और चुकंदर के माइक्रोग्रीन्स में प्रोटीन के गुण होते हैं, इन्हें किसी भी धूप और वायु प्रवाह वाले स्थान पर उगाया जा सकता है।
माइक्रोग्रीन्स का उपयोग सलाद में भी किया जा सकता है। बिटामिन ए, बीटा कैरोटीन, विटामिन सी, विटामिन ई, विटामिन के और एंटीऑक्सिडेंट की उच्च मात्रा होने के चलते नियमित रूप से सलाद में इसे खा सकते हैं। ये स्वाद में भी बेहद स्वादिष्ट होते हैं।