scriptMahakumbh 2025 : क्यों नागा साधु ही करते हैं पहला शाही स्नान? जानिए पौराणिक रहस्य | Why Naga Sadhus Take the First Royal Dip at Mahakumbh Unveiling Mystery | Patrika News
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Mahakumbh 2025 : क्यों नागा साधु ही करते हैं पहला शाही स्नान? जानिए पौराणिक रहस्य

Mahakumbh 2025 : महाकुंभ में नागा साधुओं के सबसे पहले शाही स्नान करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। नागाओं का शाही स्नान धार्मिक, आध्यात्मिक ऊर्जा और संस्कृति का संगम माना जाता है। शाही स्नान की परंपरा महाकुंभ के अद्भुत महत्व की गहराई को उजागर करती है।

जयपुरNov 27, 2024 / 03:23 pm

Sachin Kumar

Mahakumbh 2025

Mahakumbh 2025

Mahakumbh 2025 : सनातन धर्म में महाकुंभ मेला धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष महत्वपूर्ण है। साथ ही यह भारत वासियों की आस्था का प्रतीक भी है। इस भव्य मेले का मुख्य आकर्षण शाही स्नान माना जाता है। जिसमें सबसे पहले स्नान का अधिकार नागा साधुओं को दिया जाता है। इसके पीछे धार्मिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक मान्यताएं‌ हैं। आइए जानते हैं।

धार्मिक कारण (religious reasons)

धार्मिक मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश की रक्षा के लिए देवताओं और असुरों के बीच संघर्ष हुआ था। इस दौरान अमृत की बूंदें कुंभ के चार स्थानों पर गिरीं। नागा साधु जो भगवान शिव के अनुयायी माने जाते हैं। वह भगवान शिव की तपस्या और साधना के कारण इस स्नान को सबसे पहले करने के अधिकारी बनते हैं। उनका स्नान धर्म और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रारंभिक केंद्र माना जाता है।

ऐतिहासिक कारण (historical reasons)

धार्मिक मान्यता है कि नागा साधुओं की परंपरा आदिकाल से लगातार चली आ रही है। ये साधु-संत समाज सुधार और सनातन धर्म की रक्षा के लिए अपने जीवन का त्याग कर तपस्या में लीन रहते हैं। ऐसा माना जाता है कि प्राचीन समय में नागा साधु क्षत्रिय धर्म को भी निभाते थे। साथ ही धार्मिक स्थलों की रक्षा करते थे। यहीं वजह है कि इन्हें सबसे पहले स्नान का अधिकार देकर सम्मानित किया जाता है।

आध्यात्मिक महत्त्व (spiritual significance)

नागा साधु अपनी तपस्या और साधना के लिए जाने जाते हैं। इनका जीवन एकदम अलग होता है। ये जंगलों में या कहीं पहाड़ों कंदराओं में निवास करते हैं। संसारी लोगों के बीच में नागा साधु साधना और वैराग्य के लिए जाने जाते हैं। वे वस्त्रों का त्याग कर केवल भस्म से अपने शरीर को ढकते हैं। जो उनकी पूर्ण वैराग्य की स्थिति को दर्शाता है। उनका शाही स्नान कुंभ मेले की शुरुआत का प्रतीक है। मान्यता है कि उनके स्नान से संगम के जल में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है।

समाज में प्रभाव (influence in society)

नागा साधुओं का स्नान सनातन धर्म, भारतीय संस्कृति के प्रति आस्था को जागृत करता है। वहीं यह परंपरा भारतीय संस्कृति की गहराई और विविधता को दर्शाता है। उनके स्नान के बाद आम श्रद्धालुओं को पवित्र स्नान की अनुमति दी जाती है। जो शुद्धिकरण और मोक्ष का मार्ग माना जाता है।

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