व्रत का पूजा विधान
– इस दिन सूर्योदय से लगभग 2 घंटे पूर्व स्नान करके पीले या स्वेत स्वच्छ वस्त्र पहनकर तैयार हो जाये ।
– पूजा स्थल पर पीले कुशा आसन पर बैठकर सीधे हाथ में थोड़ा सा जल, चावल, पुष्प लेकर एकादशी व्रत करने का संकल्प लें ।
– भगवान श्री विष्णु जी के चतुर्भुज रूप का षोडशोपचार पूजा विधान सहित धुप, दीप, चंदन, ऋतुफल एवं नैवैद्य का भोग लगावें ।
– उपरोक्त पूजन के बाद इस मंत्र का कम से कम 108, 501 या फिर 1100 बार जप करें ।
– मंत्र- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः ।।
– इस दिन नमक व शक्कर से बने पदार्थों का सेवन बिलकुल भी नहीं करें । संभव हो तो दोनों समय निराहर ही रहे, नींबू पानी ले सकते हैं ।
– व्रत को अगले दिन द्वादशी तिथि में पारण के बाद ही खोलें । स्वयं भोजन करने से पहले किसी योग्य पंडित या गरीब को दान-दक्षिणा देकर व्रत खोलने से व्रत पूर्ण माना जाता हैं ।
सर्व पापमोचनी एकादशी व्रत मुहूर्त
– पापमोचनी एकादशी तिथि का आरंभ -31 मार्च दिन रविवार को प्रातः 3 बजकर 23 मिनट से होगा ।
– पापमोचनी एकादशी समापन- 1 अप्रैल दिन सोमवार को प्रातः 6 बजकर 4 मिनट पर होगा ।
– पापमोचनी एकादशी व्रत का पारण 1 अप्रैल दिन सोमवार को दोपहर 1 बजकर 40 मिनट से शाम 4 बजकर 7 मिनट तक ।
सर्व पापमोचनी एकादशी व्रत से बन जाते है सारे काम
– जो भी श्रद्धालु पापमोचनी एकादशी का उपवास रखते है वे पूरे उपवास काल में पवित्र रहे ।
– घर या मंदिरों में विशेष भजन कीर्तिन का आयोजन करें ।
– संभव हो तो श्रीमद्भगवत गीता का पाठ भी करें ।
– मनोकामना पूर्ति के लिए इस दिन पीपल के पेड़ के नीचे सुबह एवं शाम को दोनों समय आटे से बना 11 बत्ती वाला दीपक जलाकर 11 परिक्रमा लगायें ।
– भगवान से सभी तरह के ज्ञात अज्ञात पापों का नाश करने की क्षमा याचना करें ।