करवा चौथ का व्रत सुबह सूर्योदय से पूर्व प्रात: 4 बजे प्रारंभ हो गया है जो रात में चंद्रमा दर्शन के बाद ही पूर्ण माना जाता है । ज्योतिषाचार्य पं. प्रहलाद कुमार पंड्या भोपाल ने बताया की शाम को 5 बजकर 36 मिनट से 6 बजकर 53 मिनट तक पूजा का शुभ मुर्हूत है । एवं चंद्रमा दर्शन का समय रात्रि 7 बजकर 55 मिनट पर होगा । ऐसे में सुहागिनें चांद को इस बार मीठे जल से अर्घ्य देकर ही व्रत खोलें । इससे उनके पति को दीर्घायुत्व प्राप्त होगा ।
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करक चतुर्थी या करवा-चौथ व्रत करने का विधान है । व्रत करने वाली महिलाओं को इस दिन गेहूं अथवा चावल के दानें हाथ में लेकर कथा सुननी चाहिए, एवं बालू अथवा सफेद मिट्टी की वेदी पर शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा की मूर्तियों की स्थापना कर पूजा कर सकती हैं । यदि मूर्ति ना हो तो सुपारी पर धागा बांध कर भी उसकी पूजा की जाती है । इसके बाद अखंड सौभाग्य की कामना करते हुए कुल देवी देवताओं का स्मरण करें और करवे सहित बायने (खाने) पर जल, चावल और गुड़ चढ़ायें ।
जब रात में चंद्रमा के दर्शन हो तो छलनी की ओट में चंद्रमा का दर्शन करके अर्घ्य देने के पश्चात ही व्रत खोलना शुभप्रद रहता है । इस दिन लाल और पीले रंग के कपड़े पहनना विशेष फलदायी होता है । वहीं व्रत रखने वाली स्त्री को काले और सफेद कपड़े पहनने से बचना चाहिए । इस दिन का व्रत सबसे पहले माता पार्वती ने यह व्रत भगवान शिवजी के लिए रखा था । इसके बाद ही उन्हें अखंड सौभाग्य प्राप्त हुआ था । इसलिए इस व्रत में भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा की जाती है ।