1- सोमवार के दिन भगवान शिवजी की शिवलिंग गंगाजल मिले जल से महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार लगातार 7 दिनों तक अभिषेक करने के बाद चंदन युक्त धूप, तेल, सुगंध अथवा इत्र अर्पित करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है ।
2- आद्रा, स्वाती अथवा शतभिषा नक्षत्र में जटा वाला नारियल अपने ऊपर से 7 बार उतारकर बहते हुये जल में बहा दें । मन में यह भावना करें की कालसर्प दोष का प्रभाव हो रहा है ।
3- लगातार 7 दिनों तक दिन के समय जब राहु काल हो तब मां सिंहिका का ध्यान करते हुए एक माला ‘नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जप करें।
4- 7 दिनों तक अपनी सामर्थ्य के अनुसार बुधवार, शुक्रवार या फिर शनिवार के दिन राहु से संबंधित वस्तुएं जैसे सीसा, सरसों का तेल, तिल, कंबल, मछली, धारदार हथियार, स्वर्ण, नीलवर्ण वस्त्र, गोमेद, सूप, काले रंग के पुष्प, अभ्रक, दक्षिणा आदि का दान किसी सुपात्र वेद पाठी ब्राह्मन को दान करें।
5- चंदन की माला से राहु के इस बीज मंत्र- ‘ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः’ का जप शिव मंदिर में जाकर करने से कालसर्प दोष की परेशानियों से तुरंत लाभ मिलता है ।
6- लगातार एक सप्ताह तक कालसर्प दोष निवारण के लिए राहुकाल में दूर्वा से राहु मंत्र का 1100 बार जप करने के बाद 108 बार हवन भी करें ।
7- एक नारियल का सुखा गोले में छेद करके चीनी, बूरा तथा कुछ सूखे मेवे पीस कर भर दें। अब इस गोले को सांप की बांबी या फिर किसी पीपल अथवा बड़ की जड़ में इस प्रकार से सुरक्षित दबा दें जिससे कि इसमें चीटी लग जाएं। इस उपाय से शीघ्र ही कालसर्प से मुक्ति मिलती है ।