जल संसाधन विभाग बनाएगा नहर
केन बेतवा नदी जोड़ों राष्ट्रीय परियोजना के तहत बांध निर्माण के लिए भारत सरकार ने केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट अथॉरिटी (केबीएलपीए) का गठन किया है। केबीएलपीए सिर्फ बांध का निर्माण करा रही है। वहीं केन बेतवा लिंक कैनाल का निर्माण जलसंसाधन विभाग मप्र सरकार के द्वारा किया जाएगा। इसके लिए अधीक्षण अभियंता के नेतृत्व में जलसंसाधन विभाग ने छतरपुर में कार्यालय का गठन किया है। अधीक्षण अभियंता युवराज बार्के ने अपनी टीम के साथ नहर निर्माण के लिए भू अर्जन की प्रक्रिया को शुरू भी कर दिया है। लिंक कैनाल के कार्यपालन यंत्री निर्मल चंद्र जैन ने बताया कि लिंक नहर छतरपुर जिले के 49 गांवों से होकर गुजरेगी। इसके लिए 165 हेक्टेयर निजी जमीन और 1134 हेक्टेयर शासकीय भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है। इसके लिए धारा 11 के तहत अधिसूचना जारी कर दी गई है। धारा 19 के तहत अधिसूचना प्रकाशन की तैयारी की जा रही है।
11 पंप स्टेशन का होगा निर्माण, तीन जिलों को फायदा
लिंक कैनाल छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी और उप्र के झांसी जिले से होकर गुजरेगी। शुरुआत में नहर की चौड़ाई 13.2 मीटर होगी, जबकि बेतवा नदी के पास इसकी चौड़ाई घटकर 10 मीटर हो जाएगी। मुख्य नहर से माइनर नहरों का निर्माण होगा जो खेतों तक पानी लेकर जाएंगी। इसके लिए मुख्य नहर में 11 पंप स्टेशन बनाए जाएंगे। इनमें से 6 पंप स्टेशन छतरपुर जिले में, एक -एम पंप स्टेशन टीकमगढ़ और निवाड़ी जिलों में बनाए जाएंगे। इनसे तीनों जिलों की 1 लाख 82 हजार 525 हैक्टेयर जमीन की सिंचाई होगी। इसी प्रकार तीन पंप स्टेशन उप्र के हिस्से में सिंचाई के लिए बनाए जाएंगे। इनसे 55 हजार 52 हैक्टेयर जमीन संचित होगी। उन्होंने बताया कि नहर से छतरपुर जिले के 680 गांवों में सिंचाई की जाएगी।
पन्ना जिले में प्रभावित गांवों की संख्या बढ़ी
परियोजना के लिए छतरपुर जिले के 14 गांव विस्थापित किए जा रहे हैं। इन गांवों में भरकुआं, ढोढन खरियानी, कुपी, मैनारी, पलकोंहा, शाहपुरा, सुकवाहा, पाठापुर, नैगुवां, डुंगरिया, कदवारा, घुघरी, बसुधा शामिल हैं। इन गांवों के विस्थापित परिवारों को भैंसखार, राइपुरा, नंदगांयबट्टन और किशनगढ़ में बसाया जाएगा। इन चारों स्थानों पर जमीन को चिह्नित कर लिया गया है। केन बेतवा नदी जोड़ो राष्ट्रीय परियोजना में पत्रा जिले के 11 गांव विस्थापित किए जाएंगे। पहले 8 गांवों को विस्थापित करने के लिए चिह्नित किया गया था। इनमें पन्ना तहसील के गहदरा, कटहरी बिलहटा, मझौली, कोनी और डोंडी और अमानगंज तहसील के खमरी, कूडऩ और मरहा गांव शामिल हैं। इसके अलावा ललार, रमपुरा, जरधोबा और कंडवाहा गांवों की भी शासकीय राजस्व भूमि विस्थापित करने का फैसला लिया गया है, तीनों गांवों में लोक सुनवाई की जा चुकी है। विस्थापित होने वाले सभी 11 गांव पीटीआर के अंदर बसे हुए हैं।