बड़े फिल्मकारों के प्रस्ताव ठुकराए
जलालाबाद (अब अफगानिस्तान) में जन्मे कमर जलालाबादी का असली नाम ओमप्रकाश भंडारी था। गीतकार के तौर पर कभी उनके रुतबे और मसरूफियत का आलम यह था कि बड़े-बड़े फिल्मकारों के प्रस्तावों पर भी वह ‘मेरे पास वक्त नहीं है’ कहकर हाथ जोड़ लेते थे। इनमें राज कपूर ( Raj Kapoor ) भी शामिल थे, जो तब शोमैन के तौर पर नहीं उभरे थे। कमर जलालाबादी सीधी-सादी भाषा में गीतों को भावनाओं से सजाते थे। गीत चाहे उदासी का हो (इक दिल के टुकड़े हजार हुए), रूमानी हो (इक परदेसी मेरा दिल ले गया), चुलबुला हो (मेरा नाम चिन-चिन-चू) या फिर मौज-मस्ती का (डम-डम डीगा-डीगा), कमर जलालाबादी की शब्दावली उसमें जज्बात फूंक देती थी। उनका ‘खुश है जमाना आज पहली तारीख है’ तो 1954 से आज तक रेडियो वाले हर महीने की पहली तारीख को बजा रहे हैं।
कई बड़े संगीतकारों के साथ रचे गीत
जब फिल्मों में कई संगीतकार और गीतकार गुट बनाकर जमे हुए थे, कमर जलालाबादी गुटबाजी का हिस्सा नहीं बने। उन्होंने उस दौर के कई बड़े संगीतकारों हुस्नलाल-भगतराम, अनिल विस्वास, श्याम सुंदर, पंडित अमरनाथ, सुधीर फड़के, ओ.पी. नैयर, सज्जाद हुसैन, सरदार मलिक, कल्याणजी-आनंदजी, सोनिक ओमी आदि के साथ शब्दावली के जादू जगाए। छंद शास्त्र की उन्हें गहरी समझ थी। इसलिए पहले से तैयार धुन पर भी वे सहजता से गीत रच लेते थे। ‘वो पास रहें या दूर रहें, नजरों में समाए रहते हैं’ (बड़ी बहन), ‘आइए मेहरबां’ (हावड़ा ब्रिज), ‘तू है मेरा प्रेम देवता’ (कल्पना) और ‘दोनों ने किया था प्यार’ (महुआ) इसी तरह रचे गए।
साजन की गलियां छोड़ चले
चार दशक लम्बे कॅरियर में कमर जलालाबादी ने सैकड़ों गीत रचे। इनमें ‘चुप-चुप खड़े हो जरूर कोई बात है’, ‘तुम रूठके मत जाना’, ‘तेरी राहों में खड़े हैं दिल थामके’, ‘मेरे टूटे हुए दिल से कोई तो आज ये पूछे’, ‘मैं तो इक ख्वाब हूं’, ‘दीवानों से ये मत पूछो’ और ‘साजन की गलियां छोड़ चले’ जैसे अनगिनत सदाबहार गीत शामिल हैं। जमाना इन्हें रहती दुनिया तक गुनगुनाता रहेगा।