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यह बात कहकर टरका देते है प्रशासनिक अधिकारी
वहीं गांव के रहने वाले वीर सिंह समेत अन्य ग्रामीणों का कहना है कि जब वो बिजनौर प्रशासन के पास अपनी फरियाद लेकर जाते हैं।तो प्रशासनिक अधिकारी ये कह कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं कि ये तटबंध उत्तराखंड के अधीन है।इसलिये वो इसमें कुछ नही कर सकते।अगर उत्तराखंड सरकार उनको लिखकर दे तो वो इसके लिए कुछ करेंगे और जब गांव वाले उत्तराखंड प्रशासन के पास जाते हैं। तो उनका कहना होता है कि तटबंध से सटे गांव यूपी के जिला बिजनौर के हैं।इसलिए उनकी देख भाल करना।वहां के प्रशासन की ज़िम्मेदारी है।फिलहाल उत्तराखंड प्रशासन ने कटते हुए तटबंध को रोकने के लिए जो कार्य शुरू किया है वो ना काफी है।इन दोनों राज्यो की सीमा विवाद के चलते अगर ये तटबंध टूटता है, तो इन इलाके की हालत इतनी भयंकर होगी।जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती है।दोनों राज्यो के लापरवाही वाले रवैये से तंग आकर लोगो की निगाहें अब केंद्र सरकार की ओर लगी हैं । बाढ़ के खौफ़ से लोगों ने अपने मकान तोड़ने शुरू कर दिए हैं ।ताकि अपना मलबा बचा कर कही सुरक्षित स्थान पर अपना आशियाना बना सके। अब तक गांव से सैकड़ो लोग पलायन कर रहे है।गांव में खौफ के मारे सन्नाटा पसरा है।
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गंगा से सटे है दोनों गांव
उधर बिजनौर एसडीएम बृजेश कुमार सिंह ने बताया कि रामसहाय वाला और हिम्मतपुर गांव जनपद बिजनौर के गांव है। ये दोनों गांव गंगा खादर से सटे हुए है।इस गांव क्षेत्र में जो तट बंध बना हुआ है। वो उत्तराखंड सिचाई विभाग क्षेत्र में आता है।इस तट बंध के रखरखाव की जिम्मेदारी उत्तराखंड सिचाई अधिकारी के पास है।गंगा में पानी को लेकर हमारी लगातार बातचीत उत्तराखंड अधिकारियों से हो रही है।जनपद बिजनौर के इन गांव को अभी कोई खतरा नहीं है।जब से पानी आने की सूचना हमे मिली है,तब से लगातार इस क्षेत्र में जनपद के अधिकारियों द्वारा समय समय पर दौरा किया जा रहा है।गांव के कुछ ग्रामीण सुरक्षित क्षेत्र में जा रहे है।