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भोपाल

बाबागीरी छोड़, नेतागीरी की दौड़

भक्ति मार्ग से सियासी मार्ग का जागा मोह, चुनाव के लिए ताल ठोक रहे साधु-संत
 

भोपालOct 31, 2018 / 10:02 pm

anil chaudhary

madhyapradesh-mahamukabla-2018

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भोपाल. चुनाव मौसम में साधु-संतों पर भी सियासी रंग चढ़ गया है। वे बाबागीरी छोड़कर नेतागीरी में उतर आए हैं। ग्वालियर-चंबल, बुंदेलखंड, विंध्य, महाकौशल और मालवा-निमाड़ में बाबाओं की राजनीतिक सक्रियता लगातार बढ़ती जा रही है। बाबाओं की इस सक्रियता ने भाजपा और कांग्रेस के माथे पर बल ला दिए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि बाबाओं का सियासी मोह भाजपा की देन है। इसके बाद कई बाबाओं के मन में सत्ता सुख की भूख जागी है। हालांकि, कुछ के पास जनता से जुड़े मुद्दे भी हैं।
– कंप्यूटर बाबा
नर्मदा में अवैध उत्खनन और संरक्षण पर अभियान चला रहे हैं। सरकार ने राज्यमंत्री का दर्जा दिया था। कंप्यूटर बाबा ने पिछले दिनों पद से इस्तीफा दे दिया। अब सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। प्रदेश में संत समागम कर संतों के मन की बात के बहाने भाजपा को हराने का संकल्प दिला रहे हैं। इंदौर और ग्वालियर में आयोजन कर चुके हैं। हाईकोर्ट में सरकार के खिलाफ याचिका भी दाखिल कर रखी है। नर्मदा बेल्ट की सीटों पर उनका प्रभाव है।
– अखिलेश्वरानंद
गौ संवर्धन एवं पशुपालन बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है। अखिलेश्वरानंद ने शंकराचार्य के अवतरण पर निकाली गई यात्रा में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उन्होंने कई बार सरकार के मंचों से कांग्रेस के खिलाफ बयानबाजी की। छिंदवाड़ा से कांग्रेस सांसद कमलनाथ को चुनौती देते हुए लोकसभा चुनाव लडऩे की बात भी कही। उनका महाकौशल और मालवा की कुछ सीटों में प्रभाव है।
– पंडोखर सरकार
दतिया के पंडोखर आश्रम के संत गुरुशरण शर्मा पंडोखर सरकार ने सांझी विरासत पार्टी की घोषणा की है। वे 50 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारने की तैयारी में हैं। पंडोखर सेवड़ा से चुनाव लड़ेंगे। एट्रोसिटी को सामाजिक भेदभाव का हथियार मानने वाले पंडोखर सरकार पर संतों के अपमान का आरोप भी लगा रहे हैं। पंडोखर का ग्वालियर-चंबल और उत्तरप्रदेश के झांसी क्षेत्र में प्रभाव है।

– शक्तिपुत्र महाराज
नशामुक्ति और शराब के अवैध कारोबार के खिलाफ अभियान चला रहे हैं। 2013 में भारतीय शक्ति चेतना पार्टी के नाम से राजनीतिक पार्टी रजिस्टर्ड कराई थी। उनकी पार्टी के 52 प्रत्याशी उतारे थे, जिन्हें 0.23 प्रतिशत वोट मिले थे। उनकी भतीजी संध्या शुक्ल पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष हैं। शहडोल जिले के मऊ (ब्यौहारी) में भगवती मानव सेवा कल्याण आश्रम से उनकी धार्मिक और राजनीतिक गतिविधियों का संचालन होता है। इस बार भी प्रत्याशी उतारे जाने की तैयारी है।
– डॉ. अवधेशपुरी
रामचरित मानस में पीएचडी की है। समन्वय समिति के अध्यक्ष और अखाड़ा परिषद उज्जैन के महामंत्री रहे हैं। अवधेशपुरी भाजपा से उज्जैन दक्षिण सीट से दावेदारी कर रहे हैं। टिकट नहीं मिलने पर दूसरे दलों से भी भाग्य आजमा सकते हैं। हालांकि, टिकट तय नहीं हुआ है।
– योगी रविनाथ महिवाले
नाथ संप्रदाय से हैं। नर्मदा नदी में अवैध खनन के खिलाफ अभियान चलाने वाले योगी ने किसी पार्टी से टिकट नहीं मांगा है। वे रायसेन की उदयपुरा सीट से निर्दलीय चुनाव लडऩे की तैयारी में हैं।
– महंत प्रताप गिरी
रायसेन की सिलवानी सीट से प्रचार अभियान छेड़े हुए हैं। उनकी प्राथमिकता भाजपा है, लेकिन टिकट नहीं मिला तो कांग्रेस से भी लड़ सकते हैं। कांग्रेस भी टिकट नहीं देगी तो निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। वे किसी भी उत्पाद के पैकेट पर भगवान के फोटो के इस्तेमाल के खिलाफ अभियान चला चुके हैं।
– देवकीनंदन ठाकुर
उत्तरप्रदेश के कथावाचक हैं। बुधवार को अपनी पार्टी का ऐलान किया। प्रदेश की कई सीटों पर प्रत्याशी उतारने की तैयारी की है। उत्तरप्रदेश के कई शहरों में कथा के दौरान उन्होंने एट्रोसिटी एक्ट में संशोधन पर नाराजगी जाहिर की। इससे आगरा में उनकी गिरफ्तारी भी हुई थी। दतिया के पीतांबरा पीठ के दर्शन के दौरान राजनीतिक नारेबाजी पर प्रशासन ने उनके खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है। ठाकुर दतिया से चुनाव लडऩे की तैयारी में हैं।
– खड़ेश्वरी बाबा
सिवनी जिले के संत खड़ेश्वरी बाबा के चुनाव मैदान में उतरने का दांव कंप्यूटर बाबा ने चला था। राज्यमंत्री का दर्जा मिलते ही वे सिवनी जिले के दौरे के दौरान खड़ेश्वरी के चुनाव लडऩे की पैरोकारी की थी। उन्होंने केवलारी सीट से चुनाव लडऩे का मन बनाया है। अब वे भाजपा से दूर जा चुके हैं।
– रामसिया भारती
बचपन से ही प्रवचनकार हैं। उन्हें रामचरित मानस कंठस्थ है। उमा भारती की तरह भगवावेषधारी हैं। वे बड़ामलहरा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की दावेदार हैं। बड़ामलहरा में सक्रिय भी हैं। रामसिया भारती कभी स्कूल नहीं गईं।

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