मुख्य सचिव से तीन स्तर पर आकलन कराया, जिसमें भी नुकसान की बात नहीं आई। तभी प्रक्रिया आगे बढ़ाई। लोगों की शंका दूर करने की जिम्मेदारी मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को दी है। वे बैठक कर शंकाओं का समाधान करेंगे। जनता को संतुष्ट कराएंगे। इसके बाद ही निस्तारण की प्रक्रिया पर आगे बढ़ेंगे।
कोई नुकसान नहीं
सीएम डॉ. मोहन यादव(CM Mohan Yadav) ने कहा, नीरी नागपुर, एनजीआरआइ हैदराबाद, आइआइसीटी, सीपीसीबी गहन परीक्षण कर चुकी। कई रिपोर्टों के आधार पर 2013 में 10 टन कचरे का पीथमपुर(Pithampur) में निपटान ट्रायल किया। दूसरा ट्रायल रन भी सफल रहा।
कचरा निपटान ही एकमात्र विकल्प
मुख्यमंत्री ने कहा, त्रासदी कांग्रेस सरकार के समय हुई। इसके बाद भी कांग्रेस सरकार रही, पर पीड़ितों के हक में ठोस निर्णय नहीं लिए। यूका से कचरा निष्पादन नहीं कराया। हम वैज्ञानिक तरीके से आगे बढ़ रहे हैं। कांग्रेस या कुछ लोगों को लगता है कचरा पीथमपुर को नुकसानदायक हो सकता है तो वह भोपाल के लिए भी नुकसानकारक होगा। निपटान ही एकमात्र विकल्प है, राजनीति न करें। यह यूनियन कार्बाइड(Union Carbide waste disposal) का 85 एकड़ का परिसर है, जहां 2 दिसंबर 1984 को दुनिया का सबसे बड़ा औद्योगिक हादसा हुआ। आज यहां 360 मीट्रिक टन विषाक्त कचरे से आजादी की मुस्कान है। इस परिसर में 2500 पेड़ है, जो त्रासदी के बाद 40 साल में चारदीवारी में खुद पनप गए।
हर घंटे जलेगा 90 किलो कचरा, तब भी छह माह
● 2015 में रामकी प्लांट में 10 टन कचरा जलाकर ट्रायल किया, तब हर घंटे 90 किलो कचरा जलाया। इस रफ्तार से 6 माह लगेंगे। ● जल्द निपटान के लिए 180 से 270 किलो प्रति घंटे का ट्रायल होगा। ● 8 करोड़ की मल्टी इफेक्ट ई वेपोराइजर मशीन से कणों को वेपोराइज करेंगे। इसमें धुआं नहीं निकलता, दुष्परिणाम की आशंका नहीं
कचरे के निस्तारण के खिलाफ शुक्रवार को पीथमपुर बंद का ऐलान किया है। स्कूल, उद्योग और वाहनों का संचालन भी बंद रखने का निर्णय लिया है। व्यापारिक संगठनों ने भी समर्थन किया है। सैलाना विधायक कमलेश्वर डोडियार आमरण अनशन पर बैठ गए। जयस भी विरोध में उतरा। पीथमपुर बचाओ समिति ने दिल्ली में धरना देकर विरोध दर्ज कराया।