राजधानी में डेढ़ सौ सीबीएसई स्कूलों सहित दो हजार स्कूल हैं। नर्सरी और कक्षा पहली में दाखिलों की प्रक्रिया अधिकांश जगह पूरी हो चुकी है। इसके बाद यूनिफार्म और कॉपी किताबों की खरीदी शुरू होना है। दुकान विशेष से कॉपी किताबों की खरीदी में हर साल दुकानदारों और स्कूल(Bhopal Private School) के बीच कमीशन का खेल जोरों से चलता है। अभिभावकों से लाखों रुपए की मनमानी की जाताी है। इसको देखते हुए अभी से प्रशासन ने अपना रूख सख्त कर लिया। स्कूलों की मॉनीटरिंग की जाएगी। कोई भी स्कूल अभिभावकों को किताबों और यूनिफार्म की खरीदी के लिए बाध्य नहीं कर सकता।
स्कूलों को देनी होगी जानकारी, कौन सी किताबें चलाएंगे
स्कूलों(Bhopal Private School) को जिला शिक्षा विभाग को जानकारी देना होगी कि वे कौन सी किताबें चलाएंगे। इसकी सूची देना है। स्कूल के पटल पर इसकी लिस्ट भी चस्पा करनी होगी। ताकि अभिभावकों को जानकारी मिले। उन्हें वेबसाइट भी ये सूची जारी करना होगी। ये कार्रवाई : कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह(Collector Kaushlendra Vikram Singh) ने भोपाल दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा-144 के तहत कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
स्कूल तीन साल नहीं बदल सकेंगे यूनिफार्म
● स्कूल तीन साल तक यूनिफार्म में बदलाव नहीं करेगा। इसका उल्लंघन करने पर कार्रवाई होगी। कलेक्टर के निर्देश के इस सत्र से स्कूलों पर लागू होंगे। ● निजी स्कूल प्रबंधन परिवहन सुविधाओं के संबंध में परिवहन विभाग एवं स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा समय-समय पर जारी दिशा निर्देशों का पालन करेगा। ● प्रत्येक स्कूल में कक्षाओं में प्रवेश की प्रक्रिया एवं प्रवेश किस दिनांक से दिनांक तक होंगे, की सूचना का प्रचार-प्रसार करता अनिवार्य होगा।