शैलेंद्र तिवारी@भोपाल. प्रदेश के मेधावी बच्चों के लिए खुशखबरी है। सरकार उन्हें अगले शैक्षणिक सत्र से बिना बैंक गारंटी के एजुकेशन लोन देने की तैयारी कर रही है। यह उन छात्रों को मिलेगा, जो देश की बड़ी परीक्षाओं में पास होकर आईआईटी-आईआईएम या दूसरे ऐसे संस्थानों में प्रवेश ले रहे हैं, जिनमें मेरिट अनिवार्य है।
बैंक गारंटी नहीं होने के साथ ही लोन की खासियत यह होगी कि इसके लिए कोई कागजी प्रक्रिया नहीं होगी। बस अभिभावकों को एक स्वघोषित प्रमाणपत्र देना होगा कि वे आयकर के दायरे में नहीं आते हैं और मध्यप्रदेश के निवासी हैं। फीस के तौर पर दिया जाने वाला यह लोन बच्चों को पढ़ाई पूरी करने के एक साल बाद से सरकार को अगले पांच साल में लौटाना होगा।
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अफसरों को इस योजना को अमली जामा पहनाने का काम सौंप दिया है। लोन के लिए सरकार ने हजार करोड़ रुपए का एक रिवॉल्विंग फंड बनाने की योजना बनाई है। इसमें कुछ हिस्सा सरकार देगी और कुछ बड़ी कंपनियों से सीएसआर के तहत लिया जाएगा। फंड को मैनेज करने की जिम्मेदारी सरकार के भीतर एक एजेंसी को बनाकर दी जाएगी। एजेंसी आवेदनों पर लोन देगी और बाद में इसे वसूलने की औपचारिकताओं पर काम करेगी। सरकार का मानना है कि रिवॉल्विंग फंड बना लेने के बाद इसे पांच साल मैनेज करना है, उसके बाद छात्रों से पैसे लौटना शुरू हो जाएंगे और उसी से यह खाता मैनेज होता रहेगा।
आईआईटी, आईआईएम, एनआईटी, नेशनल लॉ कॉलेज, प्रदेश के सरकारी मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेज समेत देश के तमाम प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश परीक्षाओं की मेरिट में जगह बनाकर दाखिला पाने वाले विद्यार्थियों को लोन की पात्रता होगी। सरकार देश के ऐसे प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों को पंजीकृत कर सूचीबद्ध करेगी। चयन होने पर छात्र सरकार के पोर्टल पर इसकी जानकारी देंगे। अपना पता और दूसरी जानकारियां अपडेट करेंगे। आयकर न देने के संबंध में अभिभावक का स्वघोषित घोषणापत्र लगाएंगे। ऑनलाइन फॉर्म का वेरिफिकेशन भी ऑनलाइन होगा। उसके बाद पैसा सीधे संस्थान के खाते में जमा होता रहेगा।
ब्याज लगेगा या नहीं, अभी तय नहीं
लोन पर ब्याज लिया जाएगा, या नहीं, इस पर अभी निर्णय नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री ब्याज लेने के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन अफसर मामूली ब्याज लगाने के पक्ष में हैं। उनका तर्क है कि इससे विद्यार्थियों में ऋण वापस करने की गंभीरता रहेगी।
इनका कहना है….
सभी वर्गों के लिए योजना बना रहे हैं। कोशिश है कि प्रदेश की प्रतिभा को धन की कमी के कारण पीछे न रहना पड़े। बैंकों में खानापूर्ति ज्यादा होती है। ऐसे में ज्यादातर बच्चों को लोन मिल नहीं पाता है और कई दफा उन्हें खुद से समझौता करना होता है। इसी को ध्यान में रखकर हम इस योजना पर काम कर रहे हैं। कोशिश है कि अगले शैक्षणिक सत्र से इसे लागू कर दें।
-शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री
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