बताया जाता है कि इस कवर्ड कैंपस में निर्माणाधीन मकान में बच्ची के पिता राजेश बंसल मजदूरी करते हैं। उनकी तीन साल की बेटी गुड्डी शनिवार शाम पास ही खेल रही थी, तभी वहां कुत्तों ने गुड्डी पर हमला कर दिया। कुत्ते गुड्डी पर झपट पड़े और उसे नोंचने लगे। तभी एक युवक ने पत्थर मारकर कुत्तों को भगाकर उसकी जान बचाई। लहूलुहान हुई गुड्डी को लोग जेपी अस्पताल लेकर पहुंचे जहां से उसे हमीदिया अस्पताल रेफर कर दिया गया। इलाज के बाद उसे घर भेजा गया।
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कुत्तों ने बाकायदा उसकी घेराबंदी की. बच्ची के सड़क पर गिरते ही कुत्तों ने उसके काटना शुरु कर दिया. यह देखकर एक आदमी दौड़ा और बच्ची को बचाया. लहूलुहान बच्ची को मोहल्लेवालों ने हमीदिया अस्पताल पहुंचाया. बच्ची के सिर पर कुत्तों ने दांत गाड़ दिए थे जिससे गहरा जख्म हो गया है. किसी ने घटना का VIDEO भी बनाया है जिससे देखकर लोग सिहर उठे.
हद है… नगरनिगम का नाकारापन— नागरिक विनोद सोनी ने कहा कि आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या की वजह से जान सांसत में है. यहां नानवेज की दुकानें हैं जिनका अपशिष्ट कुत्तों को डाला जाता है. इसपर रोक लगाई जानी चाहिए. आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या पर लगाम लगाने के लिए एनीमल बर्थ कंट्रोल सेंटर खोलने का प्लान नगर निगम ने 3 साल पहले बनाया था लेकिन अभी तक परवान नहीं चढ़ा. आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए नगरनिगम के पास केवल 3 स्कवाड हैं. इनमें करीब 50 कर्मचारी हैं. निगम के पास कुत्तों के हमले व अन्य परेशानी की शिकायतें आती हैं पर कर्मचारी कभी भी समय पर नहीं पहुंचते.