सांसद प्रवक्ता रघु शर्मा ने बताया कि जोशी का कहना है कि जिन किसानों को अफीम लाइसेंस के लिये पात्र माना गया है, उन किसानों को विभाग के द्वारा लाइसेंस पात्रता की सूचना लिखित में दी जाए। किसान यदि फसल बोना नहीं चाहता है तो यह किसान से लिखित में लिया जाये तथा यह जिम्मेदारी विभाग की होनी चाहिए। अफीम फसल बुवाई के 45 दिनों के अन्दर गिरदावरी कार्य पूर्ण कर लिया जाए।
विगत वर्ष में जिन किसानों को लाइसेंस तो मिल गए, लेकिन किसी कारणवश फसल बो नहीं पाए, ऐसे किसान उसी वर्ष फसल बोने की शर्त के कारण वंचित रह गए, उन्हें भी इसी वर्ष फसल बोने की अनुमति प्रदान कि जाए। 1998-2003 तक वालों को पूर्व में सिर्फ 1 किग्रा की छूट दी गई थी, इसे 1 किग्रा से बढ़ाई जाए। जिन किसानों की औसत में 5 वर्ष पूरे नहीं हो रहे हैं, उनको प्रतिवर्ष औसत में छूट प्रदान कि जाए।
जोशी का सुझाव है कि जिन अफीम काश्तकारों की फसल तोल से पूर्व चोरी हो गई एवं उन्होंने प्राथमिकी दर्ज करवाई, ऐसे किसानों के प्रकरणों पर सहानुभुतिपुर्वक विचार कर उन्हें भी अफीम खेती का अवसर प्रदान किया जाना चाहिए। इसी प्रकार लाइसेंस प्राप्त किसान को पानी की कमी के कारण अन्य गांव में फसल बोने की छूट प्रदान करवाई जाए।
जोशी का सुझाव है कि वर्ष 1998-99 में किसानों को नये लाइसेंस प्रदान किए गए लेकिन पानी की कमी के कारण जो किसान अफीम फसल की बुवाई नहीं कर पाए, विभाग की जानकारी वाले इस प्रकार के किसानों को पुनः लाइसेंस प्रदान करवाये जाए। मृतक किसानों के नामांतरण उनके उत्तराधिकारी जैसे पत्नी, पुत्र, पुत्री, के अलावा मृतक किसान के विधिक/वैध वारिसान जैसे दत्तक पुत्र-पुत्री, पौत्र-पौत्री, या किसान द्वारा आवदेन पत्र में दर्शाए गए वारिसान/उत्तराधिकारी के नाम पर नामांतरण करके प्रक्रिया को आसान होनी चाहिए। अफीम लाइसेंस वितरण प्रक्रिया में नवाचार करते हुए पात्र किसानों को लायसेंस आवेदन प्रक्रिया को ऑनलाइन किया जाए।