शहर के गांधीनगर में ही ऐसा मकान है जहां पर 600 से अधिक पौधे गमले में लगे हैं। इनमें अधिकांश फूल एडेनियम के है। एडेनियम मुख्य रूप से सजावटी और एरोमेटिक पौधा है। यह मूल रूप से अफ्रीका और अरब देशों का पौधा है। इसे रेगिस्तानी गुलाब या डेजर्ट रोज के नाम से भी जाना जाता है। दो अन्य वैरायटियों के पौधे हैं। जिन्हें अरेबिकम व ओबेसम कहते हैं।
अरेबिकम का छोटा पौधा ओबेसम, एडेनियम ओबेसम के नाम से भी जाना जाता है। इसे रेगिस्तानी गुलाब के नाम से भी जाना जाता है। यह एक रसीला पौधा है जो धीमी गति से बढ़ता है और अफ्रीका और मध्य पूर्व का मूल निवासी है। इसकी पत्तियां चमकदार होती हैं। सर्दियों में इसके पत्ते गिर जाते हैं और बसंत में इसके रंगीन फूल आते हैं। इसके फूल घर में सुगंध और सकारात्मक माहौल बनाते हैं।
घरों और बालकनी की बढ़ाता शोभा एडेनियम को सिर्फ घरों और बालकनी की शोभा बढ़ाने के लिए ही नहीं, बल्कि व्यापार के दृष्टिकोण से भी उपयोग में लिया जाता है। एडेनियम ओबेसम प्रजाति का पौधा होता है। गांधीनगर निवासी व उदयपुर विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर इशाक कायमखानी ने बताया एडेनियम ऐसा पौधा है, जो बंजर बलुई मिट्टी में बेहद कम पानी में भी तैयार हो सकता है। पौधा अधिकतम 42 और न्यूनतम 10 डिग्री सेल्सियस तापमान तक बर्दाश्त कर सकता है। इसकी फार्मिंग में न ज्यादा मशक्कत करनी पड़ती है और न ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते हैं। कायमखानी ने बताया कि वह पहले उदयपुर विश्वविद्यालय में पांच बीघा जमीन पर छात्रों की मदद से बगीचा तैयार किया था। अब वे अपने घर की छत पर बागवानी कर रहे हैं।
इनके लगा रखे पौधे कायमखानी ने बताया कि घर पर एडिनियम के साथ अरेबिकम, ओबेसम, क्रिस्टाटा, लिली, एशियाटिक, कैला, ड्रैगन, बेट, बोगनवेलिया, क्रोटन, गुलाब व कैक्टस के लगभग 25 प्रकार के अलमांडा व अन्य प्रकार के पौधे शामिल है। एडेनियम की किस्में है। इनमें एडेनियम अरेबिकम, सोकोट्रानम, सोमालेंस, स्वाज़िकम, मल्टीफ्लोरम व क्रिस्पम शामिल है। एडेनियम को कम रखरखाव की आवश्यकता होती है। इन्हें अधिक धूप और थोड़ी सी सिंचाई की आवश्यकता होती है। यह पारंपरिक रूप से गमलों में उगाए जाते हैं, लेकिन अगर मिट्टी में लगाए जाएं तो यह तेजी से फैलता है।