खाली जेब से कैसे होगी मरम्मत वर्ष-1959 में 6 लाख 58 हजार रुपए की लागत से बांध बना। छह दशक में इसकी मरम्मत नहीं हो पाई। अभी बांध की पाल पर बबलू के पेड़ और झाडि़यां उग गई है। जगह-जगह चूहों ने बिल बना दिए। अतिवृष्टि के दौरान बांध का पानी पाल तोड़कर बाहर आने का खतरा बना रहता है। बांध की दीवार कमजोर हो गई है। यहां नहरों की स्थिति बद्दतर है। विभाग का कहना है कि खाली जेब है। एेसे में बांध की मरम्मत कैसे की जाए।
एक चौकीदार के भरोसे सुरक्षा बांध की सुरक्षा को लेकर भी बेखयाली का आलम है। वर्ष-2002 में विभाग के पास देखरेख के लिए 25 चौकीदार, तीन कनिष्ठ अभियंता व अन्य स्टॉफ था लेकिन फिलहाल सुरक्षा एक चौकीदार के भरोसे है। वह भी छह माह बाद सेवानिवृत हो जाएगा।
बांध की मरम्मत के लिए 4 करोड़ 28 लाख 16 हजार रुपए स्वीकृत हुए है। टेंडर भी हो गया। वर्क ऑर्डर भी हो गया। लेकिन अभी मिला नही है। जल्द ही बांध पर मरम्मत का काम शुरू होगा।
रामप्रसाद मीणा, सहायक अभियंता, जल संसाधन विभाग
1959 में बना बांध
6.58 लाख रुपए आई लागत
1692 हैक्टेयर भूमि में होती है सिंचाई
19 फीट बांध की भराव क्षमता