मतदाता वैसे अभी मौन है लेकिन मुद्दों की बात करने पर कहते हैं कि लोकसभा में स्थानीय मुद्दे ज्यादा मायने नहीं रखते। आम मतदाता राष्ट्रीय सुरक्षा, महंगाई, भ्रष्टाचार, कालाधन, नोटबंदी, जीएसटी जैसे मुद्दों पर दोनों ही दलों की सोच, नीतियों और घोषणाओं को परख रहा है। दो साल पहले तक गर्मियों में भीलवाड़ा शहर में बीसलपुर से ट्रेन से पानी आता था, लेकिन चम्बल परियोजना आने से पानी की समस्या दूर हुई हैं, लेकिन अभी भी कई कॉलोनियों में पेयजल संकट बना हुआ है। भीलवाड़ा के उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषित पानी भी बड़ी समस्या है। लंबे समय से जिले में कोई बड़ा कारखाना नहीं लग पाया है। अवैध खनन भी जिले की बहुत बड़ी समस्या है।
कोटा रोड पर सवाईपुर कस्बे में किसान बद्रीलाल तेली, रामकुमार जाट का कहना था कि पिछले साल अफीम नीति में संशोधन से यहां के किसानों को खासा फायदा हुआ है। नारकोटिक्स विभाग के अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की कार्रवाई से भी किसान खुश है। चुनाव में राष्ट्रीय नेताओं और मुद्दों पर ही वोट डाले जाएंगे। हालांकि इलाके में पेयजल संकट है। खजीना में तो पंद्रह दिन के अंतराल पर लोगों को पानी मिल रहा है। बीगोद में कैलाश माली का कहना था कि क्षेत्र में बेरोजगारी बढऩे से लोग नाराज है। जो लोग बीस साल से कारखाने चला रहे थे, उन्होंने भी नोटबंदी-जीएसटी लागू होने के बाद अपने कारखाने बंद कर दिए। मांडलगढ़ में रमेश माली का कहना था कि विधानसभा मुख्यालय होने के बावजूद क्षेत्र का विकास नहीं हुआ।
विधानसभा चुनाव में भाजपा आगे
पिछले विस चुनाव में भाजपा का पलड़ा भारी रहा है। कुल आठ में से पांच सीटों पर भाजपा और तीन पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी।
9 बार कांग्रेस जीती
भीलवाड़ा सीट पर1952 से 2014 तक हुए 16 आम चुनाव तथा 1964 में हुए उपचुनाव में नौ बार कांग्रेस, चार बार भाजपा और एक-एक बार रामराज्य परिषद, जनसंघ, भारतीय जनता दल, जनता दल ने जीत हासिल की है। अब तक इस सीट पर सर्वाधिक मतों से गत चुनाव में भाजपा के सुभाष बहेडि़या ने 2 लाख 46 हजार 264 मतों से जीत हासिल की थी, जबकि सबसे कम अंतर से 1991 के चुनाव में कांग्रेस के शिवचरण माथुर 10 हजार 761 मतों से जीते थे।
ये चुनेंगे भावी सांसद
कुल मतदाता : 19 लाख 97 हजार 341
पुरुष मतदाता : 10 लाख 08 हजार 199
महिला मतदाता : 9 लाख 87 हजार 659
ट्रांसजेंडर : 5
एनआरआइ: 13