तीन-तीन मंत्री बदले, फिर भी अटके प्रशासनिक सुधार एवं समन्वय विभाग ने आदेश जारी कर एक से दस जनवरी तक ट्रांसफर से रोक हटा दी है। इसमें स्पष्ट किया कि शिक्षा विभाग में तबादले नहीं होंगे। राज्य में सबसे ज्यादा कर्मचारियों वाले इस विभाग में ट्रांसफर नहीं होने से सबसे बड़ा झटका ग्रेड थर्ड के टीचर्स को लगा है।
पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार ने एक भी ग्रेड थर्ड टीचर का ट्रांसफर नहीं किया था। तत्कालीन शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा ने तबादलों के ग्रेड थर्ड टीचर्स से आवेदन मांगे, तब 86 हजार टीचर्स ने आवेदन किया था। इन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। शिक्षा मंत्री डोटासरा हट गए और डॉ. बी.डी. कल्ला को शिक्षा मंत्री बना दिया गया। डॉ. कल्ला के कार्यकाल में भी किसी ग्रेड थर्ड टीचर का ट्रांसफर नहीं हुआ। इसके बाद सरकार ही बदल गई। भाजपा सरकार का एक साल का कार्यकाल पूरा हो गया है लेकिन ट्रांसफर नहीं हो रहे।
प्रिंसिपल व डीईओ के हुए थे ट्रांसफर इस बीच शिक्षा विभाग ने ग्रेड सेकंड, लेक्चरर, प्रिंसिपल और जिला शिक्षा अधिकारियों के ट्रांसफर किए। कांग्रेस सरकार ने सैकड़ों ट्रांसफर किए थे। वर्तमान भाजपा सरकार ने भी कई टीचर्स के ट्रांसफर किए। दो दिन पहले ही जिला शिक्षा अधिकारियों का भी पदस्थापन किया लेकिन ग्रेड थर्ड टीचर्स को नहीं लगाया गया।
दूसरे जिलों में है टीचर ग्रेड थर्ड टीचर्स प्रदेशभर के जिलों में पदस्थापित है। बड़ी संख्या में टीचर्स डार्क जोन के जिलों में ही पदस्थापित हुए और अब तक वहीं टिके हुए हैं। खासकर जैसलमेर, बाडमेर, बीकानेर, भीलवाड़ा, जालौर, प्रतापगढ़, बारां, बूंदी, झालावाड़ जिलों को डार्क जोन है। यहां से वैसे ही टीचर्स का ट्रांसफर मुश्किल से होता था। अब बेन लगने के बाद भी किसी टीचर को अपने गृह जिले में जाने का अवसर नहीं मिल रहा है।
ट्रांसफर पॉलिसी भी नहीं बनी शिक्षा विभाग दो दशक से ट्रांसफर पॉलिसी की बात कर रहा है लेकिन अब तक पॉलिसी तैयार नहीं हुई। पिछली कांग्रेस सरकार और इससे पहले की भाजपा सरकार भी ट्रांसफर पॉलिसी की बात कर रही थी और अब वर्तमान शिक्षा मंत्री मदन दिलावर भी ट्रांसफर पॉलिसी की चर्चा कर रहे हैं। दूसरे राज्यों की ट्रांसफर पॉलिसी का अध्ययन भी करवाया गया लेकिन पॉलिसी बनी नहीं।