भीलवाड़ा रेलवे स्टेशन की कहानी 1871-72 से शुरू होती है। भारत में 16 अप्रेल 1853 को बम्बई- ठाणे के बीच पहली रेल चली थी। वर्ष 1870 में रेलों के द्वितीय नेटवर्क के रूप में वायसरॉय लॉर्ड मेयो ने मीटरगेज (3 फीट 3 इंच चौड़ी) लाइन की परिकल्पना की। जनवरी, 1871 से देश में मीटरगेज रेल शुरू हुई। इसी कड़ी में वर्ष 1871-72 में सिंधिया रेलवे के नीमच स्टेशन को राजपूताना रेलवे के नसीराबाद स्टेशन से मीटरगेज लाइन से जोडऩे का सर्वे शुरू हुआ। रेल विकास के बारे में पुरानी कहावत है कि जहां इच्छाशक्ति है, वहां रेल आती है अन्यथा सर्वे ही चलता रहता है। यही हश्र भीलवाड़ा को वर्ष 1871-72 में रेल लाइन से जोडऩे के सर्वे के साथ हुआ।
वर्ष 1877-78 में राजपूताना तथा इस क्षेत्र में भयंकर अकाल पड़ा, अकाल मौतों से जनता को बचाने के लिए तत्काल नीमच नसीराबाद रेलवे कम्पनी का सृजन किया गया। दिसम्बर, 1879 से मार्च, 1881 के बीच केवल 16 महीन में ही 215 किलोमीटर दूरी की नीमच से नसीराबाद नई मीटरगेज लाइन को अकाल राहत कार्यों के तहत मूर्त रूप दिया गया। इस तरह मार्च 1881 में भीलवाड़ा में रेल के पहले कदम पड़े।
भीलवाड़ा स्टेशन पर रेल सेवा शुरू होते ही एक वर्ष के अन्दर ही 1881-82 में नीमच नसीराबाद रेलवे, होलकर रेलवे एवं सिंधिया नीमच रेलवे के साथ मिलकर राजपुताना मालवा रेलवे-आरएमआर में मिल गई तथा भीलवाड़ा रेलवे स्टेशन आरएमआर के अधीन आ गया। इसके करीब तीन साल बाद 1 जनवरी, 1885 को राजपुताना मालवा रेलवे का विलय बड़ौदा बुम्बई एण्ड सेन्ट्रल इण्डिया रेलवे (बीबीएण्डसीआई) में हुआ। इस कारण आगामी 66 वर्ष तक भीलवाड़ा स्टेशन बीबीसीआई रेलवे कम्पनी के अधीन रहा।
देश आजाद होने के बाद 5 नवम्बर, 1951 को तत्कालीन बीबीसीआई रेलवे एवं अन्य स्टेट तथा कम्पनी रेलवे का विलय कर रेल मंत्रालय भारत सरकार के अधीन पश्चिम रेलवे, बुम्बई का सृजन किया गया। वर्ष १९५६ में 15 अगस्त को नसीराबाद नीमच मीटरगेज रेल लाईन पर स्थित होने से भीलवाड़ा स्टेशन प्रशासनिक नियंत्रण रतलाम मण्डल, पश्चिम रेलवे का हो गया। जोनल रेलवे के पुर्नगठन के तहत 1 अप्रेल, 2003 से स्टेशन पर नियंत्रण रतलाम मण्डल, पश्चिम रेलवे से अजमेर मण्डल, उत्तर पश्चिम रेलवे मण्डल, जयपुर को हस्तान्तरित हुआ।
करीब 125 वर्ष तक भीलवाड़ा स्टेशन ने केवल स्टीम तथा डीजल इंजनों से चलने वाली मीटरगेज की रेलगाडिय़ों का संचालन ही देखा। मीटरगेज युग में बिना रेल कोच बदले एक यात्री भीलवाड़ा से दक्षिण दिशा में काचीगुडा (हैदराबाद) तक, उत्तर दिशा में दिल्ली जंक्शन तक तथा पश्चिम दिशा में केवल उदयपुर तक ही जा सकते थे। नए सवेरे के तहत अब पूरे भारत से ब्रॉडगेज रेल से जोडऩे की नीति के तहत गेज परिवर्तन कार्य शुरू हुआ और ये भीलवाड़ा रेल मार्ग विद्युतिकृत हो गया।
15 नवम्बर, 2006 से 7 जुलाई, 2007 तक यहां भीलवाड़ा रेलवे स्टेशन पर आमान परिवर्तन होने से रेलों की आवाजाही बन्द रही, लेकिन इस बदलाव को देखने वालों की चहल पहल कम नहीं हुई। ब्रॉॅडगेज से जुडऩे के बाद भीलवाड़ा से बिना रेल एवं कोच को बदले कोई भी यात्री दक्षिण दिशा में कोचीन (केरल) तक, पश्चिम दिशा में जोधपुर तक, पूर्व दिशा में कोलकाता तक एवं उत्तर दिशा में हरिद्वार/जम्मूतवी तक यात्रा कर सकता है। भविष्य में वह दिन भी दूर नहीं, जब यहां से कश्मीर से कन्याकुमारी तथा सिलचर से द्वारका तक सीधी रेल यात्रा की जा सकेगी।