राज्य सरकार ने दिसंबर के अंतिम सप्ताह में सभी सरकारी व निजी शिक्षण संस्थाओं में शीतकालीन अवकाश के चलते बच्चे नहीं आ रहे है। यह नियम आंगनबाड़ी केंद्रों पर लागू नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि पोषाहार के चलते बच्चों को शीतकालीन अवकाश नहीं दिया जाता है।
आंगनबाड़ी केंद्र पर सुबह 10 से दोपहर 2 बजे तक जाना पड़ रहा है। महिला एवं बाल विकास विभाग के अनुसार आंगनबाड़ी केंद्रों में आ रहे नौनिहालों को नर्सरी की तर्ज पर विभिन्न गतिविधियां सिखाई जा रही हैं। इसका उद्देश्य बालकों में स्वास्थ्य एवं स्वच्छता सबन्धी आदतों को डालना, प्रभावी संवाद के माध्यम से आत्मविश्वास जगाना, रंगों की पहचान, वर्गीकरण, मिलान, संख्या ज्ञान समेत बौद्धिक विकास को बढ़ाना है। विभिन्न कालांशों के माध्यम से बाल्यावस्था शिक्षा दी जा रही है। खास बात यह है कि आंगनबाड़ी केंद्रों में आ रहे मासूम 3 से 6 वर्ष तक के हैं।
दरअसल, आंगनबाड़ी केंद्रों पर शीतकालीन अवकाश का कोई प्रावधान नहीं है। पोषाहार केंद्र पर ही दिया जाता है। यही वजह है कि बच्चों को आना पड़ रहा है। राजस्थान में 65 बाल विकास परियोजना में करीब 62 हजार आंगनबाड़ी केंद्र संचालित है। जिले में 2117 केंद्रों पर 1 लाख 36 हजार 680 बच्चे पंजीकृत हैं।
सर्दी से बचाव के इंतजाम भी नहीं आंगनबाड़ी केंद्र किराए के भवनों में चल रहे हैं। बच्चों के बैठने तक की व्यवस्था नहीं है। ना फर्नीचर है और ना सर्दी से बचाव के इंतजाम। सर्दी में जमीन पर बैठकर बच्चों को पढ़ना पड़ रहा है। सर्दी में भी बच्चों को पढ़ाई व पोषाहार के लिए केंद्रों पर आना पड़ रहा है। पिछले साल तेज सर्दी होने पर अवकाश घोषित कर दिया था, लेकिन इस बार कोई आदेश नहीं आए हैं।
अवकाश का कोई आदेश नहीं है सरकार ने शीतकालीन अवकाश के आदेश जारी नहीं किए। ऐसे भी पोषाहार के चलते बच्चों को प्रतिदिन आंगनबाड़ी बुलाया जाता है। शिक्षा विभाग की तरह आंगनबाड़ी पर छुट्टी नहीं होती है।
राजकुमारी खोरवाल, उपनिदेशक महिला एवं बाल विकास विभाग भीलवाड़ा जिले की स्थिति 2217 आंगनबाड़ी केंद्र 82415 बच्चे 0 से 3 साल 54265 बच्चे 3 से 6 साल