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भीलवाड़ा

बाहर से मरीज लाने पर निजी अस्पताल दे रहे कमीशन

एजेंटों व एम्बुलेंस चालकों के जरिये बनाई चेनबेड फुल होने का बहाना, मरीज के बिल में जोड़ रहे कमीशन की राशि

भीलवाड़ाJul 05, 2021 / 11:50 am

Suresh Jain

बाहर से मरीज लाने पर निजी अस्पताल दे रहे कमीशन

बाहर से मरीज लाने पर निजी अस्पताल दे रहे कमीशन

भीलवाड़ा।
होटलों में मेहमान पहुंचाने वाले ऑटो या टैक्सी चालक को मिलने वाले कमीशन की तरह निजी अस्पताल भी ऑफर देने लगे हैं। बाहर से मरीज लाने पर निजी अस्पताल अच्छा खासा कमीशन देते हैं। निजी अस्पतालों का यह ऑफर एम्बुलेंस चालकों के लिए है। इस ऑफर का खमियाजा मरीज व उसके तिमारदार को भुगतना पड़ रहा है। एम्बुलेंस चालक अभी जिले के आसपास के मरीजों को सीधे निजी अस्पताल ले जाते हैं और उसकी एवज में कमीशन पाते हैं। होने को तो यह खेल पुराना है लेकिन कोरोना काल में धुआंधार तरीके से खेला गया।
जिले में मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना में मरीजों के इलाज के लिए कई अस्पतालों को स्वीकृति दे रखी है। महात्मा गांधी चिकित्सालय व निजी बड़े चिकित्सालय के अलावा छोटे अस्पताल भी शामिल हैं। इन छोटे अस्पतालों के प्रबंधकों ने मरीज बढ़ते ही सेवा की बजाय कमाई शुरू कर दिया। स्थानीय मरीज के लिए बेड फुल का बहाना बनाते, वहीं जिले के अन्य जगहों से आने वाले मरीज को सीधा भर्ती करते रहे।

अस्पताल के पास मंडराते
जिले के सबसे बड़े एमजी अस्पताल में सामान्य मरीज बढऩे पर कई परिजन निजी अस्पतालों की ओर दौड़े। ऐसे में कई एम्बुलेंस चालक वार्ड या अस्पताल के आसपास घूमते दिखते हैं। वे मरीज की स्थिति को देखकर निजी अस्पताल ले जाते है। एेसे में मरीज के परिजनों से केवल एम्बुलेंस का किराया लेते हैं, लेकिन जिस अस्पताल में मरीज ले जाते हैं, वहां के प्रबन्धक उसे कमीशन की राशि देते हैं। फिर मरीज से मोटी राशि ली जाती है।
गुमराह कर ले जाते
सरकारी अस्पताल में सभी सुविधा होने के बावजूद एम्बुलेंस चालक मरीजों को गुमराह कर निजी अस्पताल ले जाते हैं। जिले में आसपास के जिले के लोग भी आते हैं। भीलवाड़ा में ऑर्थो व हार्ट का ढंग से इलाज होने से बाहर से काफी मरीज भीलवाड़ा आते हैं। मरीज यहां आने पर निजी अस्पताल संचालकों ने अपने एजेंट खड़े कर रखे हैं, जो कुछ जगह एम्बुलेंस चालकों को यह जिम्मा दे दिया। ये एजेंट वहां अस्पतालों के आसपास खड़े रहते हैं। आने वाले मरीजों को गुमराह करते हैं। फोन पर इधर-उधर जानकारी लेकर बेड फुल होने का बहाना करते हैं फिर कमीशन वाले अस्पताल में बुकिंग करा सीधा मरीज को वहीं पहुंचा देते हैं।
चालकों को हाथोंहाथ पेटीएम
बाहर से आने वाले मरीज के भर्ती होते ही अस्पताल प्रबंधक के आदमी हाथोंहाथ एम्बुलेंस संचालक को भुगतान करते हैं। उसे अलग से खर्चा पानी भी देते हैं। इस ‘खेलÓ में हर छोटे अस्पताल ने कमीशन की रेट बढ़ा दी। यह पैसा मरीज के बिल में जोड़ दिया जाता है। इन अस्पतालों में भर्ती मरीज का तीन से चार दिन में डेढ़ से दो लाख बिल जा रहा है, जबकि उससे गंभीर हालत में भर्ती मरीज सरकारी अस्पताल में निशुल्क ठीक होकर आ रहे हैं।
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एम्बुलेंस वाले को हटा दिया
सबसे ज्यादा शिकायतें एमसीएच ईकाई से आती थी कि मरीज को यहां से अन्य अस्पताल में ले जाते हैं। इसकी जांच भी करवाई थी तो बात सही निकलने पर सभी एम्बुलेंस चालकों के एमसीएच परिसर से ही निकाल दिया। मरीज आने या घर जाते समय ही एम्बुलेंस को अन्दर आने देते हैं। कमीशन के खेल में गरीब आदमी की जेब ढीली हो रही है। फिर भी ऐसी कोई शिकायत मिलती है को कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. अरुण गौड़, अधीक्षक एमजीएच भीलवाड़ा
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ऐसा कोई करता है तो गलत है
मरीज को लाने पर किसी भी एम्बुलेंस चालक को अलग से राशि नहीं दी जाती है। फिर भी ऐसा कोई करता है तो गलत है। कोई शिकायत मिलती है तो कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. दुष्यन्त शर्मा, अध्यक्ष आईएमए, भीलवाड़ा

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