इसके बाद वे खेतों में कीटनाशक का छिड़काव करने से लेकर डेटा का डिजिटल विश्लेषण करके फसलों की सेहत बताएंगी। इसकी शुरुआत मई में कवर्धा जिले से होने जा रही है। सबसे अहम बात यह है कि इस मुहिम में आईआईटी भिलाई की विशेष भूमिका होगी। गांवों में महिलाओं को ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग देने से लेकर उसके रखरखाव और डेटा एनालिसिस जैसा प्रशिक्षण मुहैया कराने की जिम्मेदारी आईआईटी भिलाई की होगी।
इसके लिए जल्द ही आईआईटी ड्रोन दीदी प्रोजेक्ट को लेकर रूपरेखा तैयार करने में जुटेगा। इस प्रोजेक्ट में छत्तीसगढ़ काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी भी साथ होगा। मंगलवार को इसके लिए दोनों संस्थानों के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए।
Drone Didi in Chhattisgarh: इस तरह होगी दीदी की आमदनी
प्रोजेक्ट के शुरुआती चरण में आईआईटी भिलाई महिलाओं के बीच पहुंचकर ड्रोन टेक्नोलॉजी के जरिए किसानी को आसान और प्रभावी बनाने का प्रशिक्षण देगा। इसके बाद आईआईटी विभिन्न एजेंसी को हायर करते हुए ड्रोन प्रशिक्षण की शुरुआत कराएगा। यह प्रोजेक्ट कवर्धा से शुरू होकर अन्य जिलों में पहुंचेगा और हजारों महिलाओं को ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग मिलेगी। बताया जा रहा है कि ड्रोन की मदद से महज 15 मिनट में ही एक एकड़ क्षेत्रफल में पेस्टीसाइड या नैनो यूरिया का छिड़काव किया जा सकता है। महिलाएं यह काम करेंगी। यह कार्य करने के लिए ड्रोन दीदी को प्रति एकड़ 200 रुपए मिल सकेंगे। यदि एक दिन में 25 एकड़ पर लगी फसल पर छिड़काव कर लेंगी तो उसे प्रतिदिन 5 हजार रुपए की आमदनी होगी। अब एक साल में उसने 3 महीने के बराबर भी काम किया तो करीब 4.5 लाख रुपए कमा लेंगी। यह संभावित आंकड़ा है, जिसमें क्षेत्र की जरूरत के हिसाब से परिवर्तन हो सकता है। जो महिलाएं इस ट्रेनिंग में खरी उतरेंगी उनको ड्रोन दीदी कहेंगे। चार पांच गांवों के क्लस्टर में एक ड्रोन दीदी होगी।
Drone Didi in Chhattisgarh: खेती में कैसे फायदा मिलेगा?
ड्रोन की मदद से कम पेस्टीसाइड और खाद के उपयोग से ज्यादा एरिया कवर किया जा सकता है। फसल पर पेस्टीसाइड या खाद का छिड़काव करने के लिए 1 आदमी रखना पड़ता है जिसे प्रति एकड़ मजदूरी के तौर पर प्रति दिन 400 से 600 रुपए भुगतान करना पड़ता है। छोटा किसान यह कार्य खुद कर लेता है लेकिन अधिक जमीन वाले किसान अक्सर यह काम करवाते हैं। ड्रोन के उपयोग से मजदूरी की कीमत आधी हो सकती है, टाइम भी बचेगा। पेस्टिसाइड और यूरिया के उपयोग की मात्रा भी घटेगी, हाथों से छिड़काव करने के मुकाबले ड्रोन से छिड़काव से मटीरियल की मात्रा आधी हो जाएगी। इसके साथ ही हाथों से कई ऊंची उगने वाली फसलों पर ठीक से छिड़काव हो भी नही पाता। ड्रोन से ये समस्या दूर हो जाएगी। सबसे बड़ा फायदा होगा स्वास्थ्य से सम्बंधित, क्योंकि मैनुअली छिड़काव करने से इन मजदूरों को स्किन के प्रॉब्लम्स भी होते थे।
Drone Didi in Chhattisgarh: किसको, क्या होगा फायदा
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। इससे महिलाओं की आमदनी तेजी से बढ़ाई जा सकेगी, वहीं जो महिलाएं पढ़ी-लिखीं है और अभी सिर्फ अपने घरों तक सीमित थीं वे भी आत्मनिर्भर बनेंगी। ड्रोन ट्रेनिंग के बाद रोजगार से जुड़ सकेंगी। खेती के लिए पेस्टिसाइड और फर्टिलाइजर की खपत में बड़ी कमी आएगी। किसानों की कृषि में लागत घटेगी और आमदनी बढ़ेगी।
Drone Didi in Chhattisgarh: एमओयू का मकसद सामाजिक हित
इस प्रोजेक्ट के जरिए छत्तीसगढ़ का सामाजिक और आर्थिक विकास करने में अब देश का शीर्ष तकनीकी संस्थान आईआईटी भिलाई सहयोगी होगी। इस कोशिश में छत्तीसगढ़ काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी का साथ होगा। इस एमओयू के तहत जहां एक तरफ महिलाओं को ड्रोन प्रशिक्षण कराएंगे। वहीं दूसरी तरफ आईआईटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट में भी काम करेगा। इसमें सीजीकॉस्ट आर्थिक तौर पर मदद करेगा। विभिन्न प्रोजेक्ट आईआईटी भिलाई को दिए जाएंगे। छत्तीसगढ़ को समृद्ध बनाने के लिए दोनों संस्थान मिलकर नए शोध करेंगे, जिसमें टेक्नोलॉजी को जोड़ा जाएगा। बस्तर की जड़ी बुटियों की विशेषताओं को पहचान दिलाने से लेकर उद्योगों के लिए तकनीकी सपोर्ट सिस्टम तैयार किए जाएंगे। सीजीकॉस्ट के डायरेक्टर जनरल एसएस बजाज और आईआईटी भिलाई के डायरेक्टर प्रो. राजीव प्रकाश ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए।