परंपरागत खेती में कुछ नया करने की ललक उन्हें महाराष्ट्र के महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ रूहोरी ले गई। उन्होंने अलग-अलग स्थानों से खेती से जुड़ी बारीकियां सीखीं। सोयाबीन से नवाचार किया। 45 बीघा में 42 लाख की फसल हुई। इसमें चार लाख का खर्चा हुआ और 38 लाख का मुनाफा मिला।
वे इस बार वेजिटेबल हार्वेस्टिंग की खेती कर रहे हैं। 40 बीघा में दस तरीके की ऑफ सीजन की सब्जियां लगाई हैं। जिसमें मिर्ची, टमाटर, बैंगन, भिंडी, करेला, गिलकी, लौकी, तरबूज, खरबूजा और गेंदा फूल की फसल तैयार की जा रही है। इससे करीब एक करोड़ रुपए की आय का लक्ष्य है।
किसान ने चार साल पहले अकलेरा में डेयरी फार्म में किस्मत आजमाई और सफल रहे। इनके पास 23 दुधारू उन्नत किस्म की भैंसें व गायें है। जिनका दूध बड़ी डेयरियों में सप्लाई होता है। इसके लिए चेन सिस्टम बनाया है। इससे हर माह होने वाली आय का आधा हिस्सा खेती में लगाते हैं।
क्षेत्र में पहली मल्टीक्रॉप हार्वेस्टिंग फॉर्मूले से की जा रही फसल को देखने के लिए बड़ी संख्या में युवा काश्तकार आते हैं। उनकी स्वयं की कंपनी खोलने की योजना है। इसमें लैब से लेकर वेजीटेबल पैकेजिंग की व्यवस्था रहेगी। यह पैकेजिंग देशभर में ऑनलाईन भेज सकते हैं।
लोगों को दिया रोजगार
धनराज ने तीन दर्जन युवाओं को रोजगार मुहैया कराया है। ये फसल में दवा छिड़काव, बेकार पौधों को अलग करने व नर्सरी से तैयार पौधों को रोपने आदि का कार्य करते हैं।
लववंशी बताते हैं कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सीखने के लिए बहुत कुछ है। इसका सही उपयोग यूथ के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। प्रमोद जैन — हरनावदाशाहजी