पुजार चौथे पुलिस अधिकारी और एसआईटी द्वारा गिरफ्तार किए जाने वाले पांचवें व्यक्ति हैं, जो 2020 और 2021 के बीच सामने आए हाई-प्रोफाइल बिटकॉइन घोटाले से निपटने में केंद्रीय अपराध शाखा (सीसीबी) के कथित कदाचार की जांच कर रहे हैं। एसआईटी का गठन जुलाई 2023 में किया गया था।
जब पुजार का नाम बिटकॉइन घोटाले से जुड़ा, तो वे आंतरिक सुरक्षा प्रभाग में पदस्थ थे, परिणामस्वरूप उन्हें निलंबित कर दिया गया था। 2020 में, बेंगलूरु में नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) एक्ट मामले की जांच करते हुए पुजार ने ही हैकर श्रीकृष्ण को गिरफ्तार किया था, जिसे श्रीकी के नाम से भी जाना जाता है।
शुरुआत में उसे बिटकॉइन का उपयोग कर ऑनलाइन ड्रग्स खरीदने के लिए हिरासत में लिया गया, श्रीकी की गिरफ्तारी से अंततः कर्नाटक में कई साइबर अपराधों का खुलासा हुआ, जिसमें 2019 में राज्य ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल से 11.5 करोड़ रुपये की चोरी भी शामिल है। जांच के दौरान राजनेताओं और नौकरशाहों के नाम सामने आने पर मामले ने और तूल पकड़ लिया।
एएसआइटी की पहली एफआइआर के अनुसार, पुजार ने श्रीकी से दो मैकबुक, दो पेन ड्राइव और एक हार्ड डिस्क जब्त की। हालांकि, फोरेंसिक विश्लेषण में जब्त किए गए उपकरणों के साथ छेड़छाड़ का पता चला, जिसमें फ़ाइल हटाने और बनाने के सबूत शामिल हैं। एसआटी इस बात की जांच कर रही है कि पुजार ने अदालत की अनुमति प्राप्त किए बिना उपकरणों तक कैसे पहुँच बनाई और क्या कोई अतिरिक्त हेरफेर हुआ।
सितंबर में कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद पुजार ने आत्मसमर्पण किया। न्यायमूर्ति एमजी उमा ने मामले की गंभीरता, खास तौर पर सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की संलिप्तता पर आश्चर्य व्यक्त किया।
बिटकॉइन घोटाला पहली बार 2020 में सामने आया था, जब श्रीकृष्ण और उनके अकाउंटेंट रॉबिन खंडेलवाल को ड्रग्स खरीदने के लिए बिटकॉइन का इस्तेमाल करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उनकी गिरफ्तारी ने कई साइबर अपराधों को उजागर किया, जिससे कर्नाटक में भाजपा शासन के दौरान विभिन्न कानून प्रवर्तन अधिकारियों की संलिप्तता और भ्रष्टाचार के आरोप सामने आए। आरोप थे कि पुलिस अधिकारियों ने श्रीकी की गिरफ्तारी के बाद उनके क्रिप्टो वॉलेट में मिले बिटकॉइन के बड़े कैश का दुरुपयोग किया था।
राज्य सरकार ने कथित घोटाले की जांच के लिए जून 2023 में एसआईटी का गठन किया। तब से, अगस्त 2023 और जनवरी 2024 में दो नई एफआईआर दर्ज की गईं, जो सबूतों के साथ छेड़छाड़ और पुलिस द्वारा 2020-2021 में श्रीकी और उनके सहयोगी की कथित अवैध हिरासत पर केंद्रित थीं।
जांच के सिलसिले में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी संदीप पाटिल समेत कई उच्च पदस्थ अधिकारियों से पूछताछ की गई है। पाटिल, जो कथित घोटाले के दौरान बेंगलूरु में संयुक्त आयुक्त (अपराध) थे, ने कहा कि उनकी जांच नियमित जांच प्रक्रिया का हिस्सा थी।