बैठक के दौरान मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने कहा कि, आरक्षण के मुद्दे पर सरकार का रुख का साफ है। सरकार सामाजिक न्याय के साथ खड़ी है और चाहती है कि, सभी वंचित समुदायों को इसका लाभ मिले। लेकिन, पिछड़ा वर्ग आयोग की इस संबंध में अंतिम रिपोर्ट अभी नहीं मिली है। चूंकि, चुनावी आचार संहिता है इसलिए इसपर कानूनी रूप से चर्चा करने की जरूरत है। महाधिवक्ता और कानूनी विशेषज्ञों से इसपर चर्चा होगी। अभी कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता है। जो भी कदम उठाया जाएगा वह संविधान सम्मत कदम होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि, पिछली सरकार ने आरक्षण की दो और श्रेणियां 2 सी और 2 डी बनाई। वोक्कालिगाओं को 3 ए से 2 सी में और लिंगायतों को 3 बी से 2 डी में स्थानांतरित किया गया जबकि, मुसलमानों का आरक्षण हटा दिया गया। लेकिन, जब मामला सुप्रीम कोर्ट में गया तो सरकार ने यथास्थिति बनाए रखने पर सहमति जताई। इसलिए मामला अभी अदालत में लंबित है। वे अभी कुछ नहीं कर सकते। इस दौरान उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार और मंत्री लक्ष्मी हेब्बालकर, शिवराज तंगडगी तथा अन्य विधायक व अधिकारी मौजूद थे। बैठक में प्रतिनिधिमंडल से कहा गया कि, आदर्श आचार संहिता के कारण चुनाव समाप्त होने के बाद फिर से बैठक बुलाई जाएगी।
इस बीच जय मृत्युंजय स्वामी ने कहा कि पंचमशाली 9 दिसंबर को बेलगावी के सुवर्ण विधान सौधा में विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दौरान विरोध प्रदर्शन करेंगे। आंदोलन का नेतृत्व पंचमसाशाली समुदाय के 10 हजार वकील करेंगे। मुख्यमंत्री को या तो पिछली सरकार के फैसले को लागू करना चाहिए या समुदाय को 2 ए श्रेणी में शामिल करना चाहिए। यदि वह दोनों नहीं कर सकते हैं, तो सरकार को केंद्र सरकार से केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल होने की सिफारिश करनी चाहिए। लेकिन, मुख्यमंत्री ने हर चीज के लिए चुनावी आचार संहिता का हवाला दिया।