scriptपत्रिका अभियान: याेगीराज में लकवाग्रस्त हुआ प्रदूषण विभाग, हजारों लोग जूझ रहे कैंसर से, देखें वीडियो- | Thousands of people suffer from cancer due to impure water | Patrika News
बागपत

पत्रिका अभियान: याेगीराज में लकवाग्रस्त हुआ प्रदूषण विभाग, हजारों लोग जूझ रहे कैंसर से, देखें वीडियो-

लगातार शिकायतों के बाद भी अवैध फैक्ट्रियों के खिलाफ प्रदूषण विभाग नहीं कर रहा कार्रवाई

बागपतDec 15, 2018 / 11:17 am

lokesh verma

baghpat

पत्रिका अभियान: याेगीराज में लकवाग्रस्त हुआ प्रदूषण विभाग, हजारों लोग जूझ रहे कैंसर से

बागपत. प्रदूषण विभाग अपना काम जिम्मेदारी से करे तो बागपत की आने वाली पीढ़ी सुकून से जीवन जी सकेगी, लेकिन विभाग अपना काम न तो ईमानदारी से कर रहा है और न ही जल को प्रदूषित करने वालों पर कार्रवाई के लिए तैयार है। तीन दिन पहले छापेमारी कर खानापूर्ति करने वाले विभाग ने आज तक न तो कोई नोटिस भेजा है और न ही इन फैक्ट्रियों के खिलाफ नियम अनुसार कारवाई की है। अगर प्रदूषण विभाग इसी तरह लापरवाह बना रहा तो बागपत में लाखों जिंदगियां बीमारी का शिकार हो जाएंगी।
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बागपत में वायु और जल प्रदूषण को लेकर जिला स्तर से समय-समय पर उपजिलाधिकारियों द्वारा जांच की जाती है, चूंकि कार्रवाई का अधिकार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को है। इसलिए सख्त कारवाई नहीं हो पाती है। प्रदूषण विभाग के अधिकारियों को बार-बार पत्राचार करने के बाद भी विभाग उदासीन बना रहता है। जिसका खामियाजा बागपत की जनता को भुगतना पड़ रहा है। जिले के अंदर ऐसे हजारों मरीज हैं, जो कैंसर से पीड़ित हैं। हाल में स्वास्थ विभाग द्वारा कैंसर पीड़ित मरीजों की तलाश की गई थी, जिसमें सैंकड़ों और नए मरीज सामने आए हैं। इससे साफ हो जाता है कि अगर समय रहते प्रदूषण विभाग ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई तो बागपत में लाखों लोग पानी जनित रोगों का शिकार हो जाएंगे और इसके लिए केवल प्रदूषण विभाग जिम्मेदार होगा। प्रदूषण विभाग इतना लापरवाह है कि कई बार एनजीटी के आदेश होने के बाद ही उसने कार्रवाई की, लेकिन कभी अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई। यही वजह है कि बागपत में प्रदूषण की शिकायतें प्रदूषण विभाग के पास कम एनजीटी में ज्यादा पहुंच रही हैं। प्रदूषण विभाग के जई एसपी सिंह का कहना है कि वे जल्द ही सभी फैक्ट्रियों की जांच कर उनके खिलाफ सख्त कारवाई करेेंगे। फिलहाल उनके पास कर्मचारियों की कमी है, जिससे उनको क्षेत्र में जाने का समय कम ही मिल पाता है।
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1975 में हुआ था था बोर्ड का गठन

बता दें कि भारत सरकार ने जन स्वास्थ की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रदूषण जनित समस्याओं के निराकरण के लिए 3 फरवरी 1975 को उत्तर प्रदेश जल प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण बोर्ड का गठन किया था। वहीं 13 जुलाई 1982 से राज्य सरकार ने उक्त बोर्ड का नाम बदलकर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कर दिया। फिलहाल प्रदेश में प्रदूषण की रोकथाम के लिए लखनऊ स्थित मुख्यालय के अतिरिक्त 27 क्षेत्रीय कार्यालयों एवं उनके क्षेत्रों का निर्धारण किया गया है।

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