scriptDelhi Election 2025: आप ने दिखाया जो रास्ता, उस पर दौड़ना चाह रहीं कांग्रेस और भाजपा | Delhi Election 2025 Congress and BJP want to run on path shown by AAP muft ki revadi free subsidy | Patrika News
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Delhi Election 2025: आप ने दिखाया जो रास्ता, उस पर दौड़ना चाह रहीं कांग्रेस और भाजपा

Delhi Election 2025: दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार द्वारा “मुफ्त की रेवड़ी” बांटने का आरोप भाजपा और कांग्रेस लगाते थे, लेकिन अब दोनों ही दलों ने अपनी घोषणाओं में मुफ्त योजनाओं और सब्सिडी का वादा किया है।

नई दिल्लीJan 09, 2025 / 06:04 pm

Anish Shekhar

Delhi Election 2025: पिछले कुछ चुनावों के दौरान प्रचार और सियासी बयानों में एक मुद्दा लगातार गरम रहता रहा है- रेवड़ी बनाम जनकल्याण। दिल्ली विधानसभा चुनाव भी इसका अपवाद नहीं है। जनकल्याण के नाम पर दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने दस साल में लोगों को 36855.46 करोड़ रुपए की सब्सिडी दे दी है। भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे “मुफ्त की रेवड़ी” बता केजरीवाल और आप पर निशाना साधते रहे हैं, लेकिन हर चुनाव में जहां भाजपा लोगों को सत्ता में आने पर तरह-तरह की ऐसी “रेवड़ियाँ” बांटने का वादा करती है, वहीं केंद्र व राज्यों में उसकी सरकारों की ओर से भी ऐसी योजनाओं की घोषणाएँ की जाती रही हैं। तब भाजपा इसे जनकल्याण के लिए की गई घोषणाएँ बताती है।
दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने दस साल में लोगों को दी जाने वाली सब्सिडी दस गुना बढ़ा दी है। 2014-15 में 554.72 करोड़ की सब्सिडी 2024-25 में 5310.34 करोड़ तक पहुँच गई। पिछले दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की शानदार जीत की वजह कई विश्लेषकों ने मुफ्त बिजली-पानी के आप के वादे को ही बताया। लेकिन, दिल्ली में आप के शुरू किए गया इस चलन को अपनाने की अब बीजेपी और काँग्रेस में भी होड़ लग गई है। उनके चुनावी वादों में यह साफ देखा जा सकता है।
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भाजपा-कांग्रेस भी कर रही अब मुफ्त की रेवड़ियों पर बात

खासकर भाजपा, जो पहले आम आदमी पार्टी के “फ्री” वादों की आलोचना करती थी, अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद यह आश्वासन दिया है कि दिल्ली में जो कल्याणकारी योजनाएं चल रही हैं, वे जारी रहेंगी। भाजपा ने दिल्ली के चुनावी परिदृश्य का विश्लेषण किया है और पाया है कि आम आदमी पार्टी की “मुफ्त” योजनाओं का दिल्ली के वोटरों पर गहरा असर पड़ा है, खासकर स्थानीय मुद्दों पर उनका ध्यान केंद्रित होता है। भाजपा के नेता मानते हैं कि इन योजनाओं का असर दिल्लीवासियों के दैनिक जीवन पर है और इसका बड़ा राजनीतिक लाभ आम आदमी पार्टी को हुआ है। भाजपा इस बार अपने घोषणापत्र में इन योजनाओं का उल्लेख करने की योजना बना रही है, साथ ही यह भी घोषणा की है कि वह वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को भी बिजली सब्सिडी देगी।

कांग्रेस के वादे

वहीं, कांग्रेस ने भी अपनी तरफ से चुनावी वादे किए हैं, जिनमें 25 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा और महिलाओं को मासिक सहायता देने की बात शामिल है। कांग्रेस का यह वादा खासकर महिलाओं और स्वास्थ्य क्षेत्र पर केंद्रित है। इस बीच, आम आदमी पार्टी भी अपनी योजनाओं को लेकर सक्रिय है। उनके चुनावी वादों में महिलाओं के लिए वित्तीय सहायता, वरिष्ठ नागरिकों के लिए मुफ्त इलाज, और दलित छात्रों के लिए छात्रवृत्ति जैसी योजनाएं शामिल हैं। इसके अलावा, पंडितों और गुरुद्वारा ग्रंथियों के लिए भी मासिक सहायता की घोषणा की गई है।
आम आदमी पार्टी का यह दावा है कि इन योजनाओं को लेकर उन्हें जबरदस्त समर्थन मिल रहा है, और इस बार भी सत्ता विरोधी लहर के बावजूद वे चुनाव जीतने में सफल होंगे।। दिलचस्प यह है कि भाजपा ने पहले “फ्री की रेवड़ी” शब्द गढ़ा था और अब खुद मुफ्त योजनाओं को लेकर आश्वासन दे रही है। इससे यह संकेत मिलता है कि दिल्ली की राजनीति में “मुफ्त की योजनाएं” अब एक अहम चुनावी मुद्दा बन चुकी हैं और हर पार्टी इसे अपनी चुनावी रणनीति में शामिल कर रही है। इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही अपनी-अपनी योजनाओं के साथ आम आदमी पार्टी को चुनौती दे रही हैं, लेकिन आप की जीत के लिए “मुफ्त की योजनाएं” एक अहम हथियार साबित हो सकती हैं।

आप की राह पर कांग्रेस और भाजपा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 में चुनावी मुफ्तखोरी की संस्कृति की आलोचना करते हुए इसे दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता के लिए हानिकारक बताया। उन्होंने विकासात्मक पहलों, जैसे एक्सप्रेसवे और हवाईअड्डों पर जोर दिया, न कि अल्पकालिक लोकलुभावन उपहारों पर। वैसे खुद मोदी सरकार ने कोरोना काल में शुरू की गई मुफ्त राशन की योजना को 2025 तक बढ़ाने का एलान किया। भाजपा सरकारों और खुद पार्टी की ओर से ऐसी घोषणाओं का सिलसिला लगातार जारी है।
मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने लाड़ली बहना योजना के तहत महिलाओं को नकद पैसे देकर काफी लोकप्रियता बटोरी और इस योजना को मध्य प्रदेश में तीसरी बार चुनावी जीत हासिल करने के प्रमुख कारणों में से एक बताया गया। हाल ही में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से ऐन पहले भाजपा की गठबंधन सरकार ने ‘लाडली बहन योजना’ के तहत महिलाओं को वित्तीय सहायता देने की घोषणा की और दोबारा सत्ता मिलने पर रकम बढ़ाने का वादा किया। कांग्रेस ने भी वादा किया था की उसकी सरकार बनी तो रकम दोगुनी कर दी जाएगी। हरियाणा में भाजपा ने बेरोजगार युवाओं को भत्ते का ऐलान किया था और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया।

जनता पर भारी

इन योजनाओं का राज्य के बजट पर भारी दबाव पड़ सकता है, क्योंकि इन्हें लागू करने से कर्ज का बोझ बढ़ सकता है। हिमाचल को पुरानी पेंशन योजना के लिए हर महीने 2,000 करोड़ रुपये की जरूरत है, और महाराष्ट्र में ‘लाडली बहन योजना’ के लिए 18,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी। इस तरह के वित्तीय दबाव से दीर्घकालिक विकास में रुकावट आ सकती है। अत: मुफ्त योजनाओं का आर्थिक स्थिरता पर गहरा असर हो सकता है, जिससे राज्यों के लिए स्थायी विकास मुश्किल हो सकता है।
अर्थशास्त्री और कई विशेषज्ञ ऐसी घोषणाओं को राज्य या देश की वित्तीय हालत के लिए खतरनाक तो बताते ही है, वे इसे जनता को वोट के बदले रिश्वत की पेशकश के रूप में भी देखते हैं। चुनाव आयोग से इस पर स्वतः संज्ञान लेते हुए इस तरह के चुनावी वादे करने की राजनीतिक पार्टियों की होड़ पर लगाम लगाने की मांग भी उठने लगी है। पर बड़ा सवाल यही है कि क्या चुनाव आयोग ऐसा करेगा?

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