पूर्वजों से विरासत में मिली यह कारीगरी बता दें कि शहर की नालापार बस्ती निवासी अनीस रावण के पुतलों को बनाने में माहिर हैं। अनीस और उसका परिवार कई वर्षों से इस कार्य से जुड़े है। उनके द्वारा रावण के बनाए जाने वाले पुतले शहर क्षेत्र में प्रसिद्ध हैं। इसके साथ ही कलाकार अनीस आतिशबाज के बेटे इरफान और इमरान ने बताया कि उनके साथ ही पूर्वज भी रावण और उसके परिवार के पुतले सदियों से बनाते आ रहे हैं।
यह कारीगरी उन्हें पूर्वजों से विरासत में मिली है। जिसके चलते दशहरे के मद्देनजर वह पुतले बनाने का कार्य जन्माष्टमी पर्व के बाद शुरू कर देते है। वह अपने परिवार के साथ मिलकर ही पुतले बनाने का कार्य करते हैं। क्योंकि पुतले बनाने के कारीगर नहीं मिल पाते हैं। अनीस के द्वारा बनाए जाने वाले पुतले इतने फेमस हैं कि खेकड़ा के अलावा बागपत, मंडौला, गाजियाबाद, नोएडा के साथ ही गांवों से भी काफी ऑर्डर आते हैं।
पुतलों का काम अंतिम चरण में जैसा कि सभी जानते हैं दशहरा पर्व 15 अक्तूबर को है। जिसके चलते अब पुतलों का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। रावण और उसके परिवार के बनाए जा रहे पुतलों को देखने के लिए शहर में लोगों की दिनभर भीड़ लगी रहती है। शहर के अलावा आस-पास के शहरों एवं गांव में दहन होने वाले पुतलों को भी यही कलाकार बनाते आ रहे हैं। दशहरा के मौके पर अनीस की खूब चांदी कटती है। क्योंकि इन्हीं कुछ दिनों में सबसे ज्यादा उसकी लोगों को जरूरत होती है।