इनका कहना है कि ये 3 हजार से ज्यादा लोगों की अब तक स्कैनिंग कर चुके हैं। इन डॉक्टरों ने 22 दिन से अपना घर नहीं देखा। 22 दिन से यहीं पर ड्यूटी पर डटे हुए हैं। डॉ मनीष त्यागी का कहना है कि उनका परिवार जिला मुख्यालय से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर है। घर मे दो बच्चे हैं, लेकिन यह 20 किलोमीटर का सफर वह 22 दिन में भी तय नहीं कर पाए। कोरोना के खतरे को देखते हुए परिवार से मिलना खतरे से खाली नहीं है। जिसके डर के चलते परिवार से दूरी बनाए हुए हैं।
वहीं फार्मेसिस्ट संजीव कुमार सांगवान का भी कहना है कि उनके दो छोटे-छोटे बच्चे हैं, लेकिन उनसे मिले भी 22 दिन हो चुके हैं। जब से लॉकडाउन की घोषणा की गई है तभी से वह अपनी ड्यूटी पर लगे हुए हैं, फोन पर ही बच्चो से देखना होता है।